New Delhi : आधिकारिक मोर्चे पर, डीआईपीएएम के सचिव तुहिन कांता पांडे ने शुक्रवार को ट्वीट किया, एआई विनिवेश मामले में भारत सरकार द्वारा वित्तीय बोलियों को मंजूरी देने का संकेत देने वाली मीडिया रिपोर्ट गलत है। सार्वजनिक क्षेत्र की एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया के टाटा समूह के नियंत्रण में जाने से संबंधित मीडिया में चल रही खबरों का केंद्र सरकार ने खंडन किया है। । जब इसपर निर्णय लिया जाएगा तो मीडिया को सरकार के निर्णय के बारे में सूचित किया जाएगा
1932 में टाटा ने शुरू की थी एअर इंडिया
एअर इंडिया को 1932 में टाटा ग्रुप ने ही शुरू किया था। टाटा समूह के जे.आर.डी. टाटा इसके फाउंडर थे। वे खुद पायलट थे। 1938 तक कंपनी ने अपनी घरेलू उड़ानें शुरू कर दी थीं। तब इसका नाम टाटा एअर सर्विस रखा गया। दूसरे विश्व युद्ध के बाद इसे सरकारी कंपनी बना दिया गया। आजादी के बाद सरकार ने इसमें 49% हिस्सेदारी खरीदी।
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यह दूसरा मौका है जब एयर इंडिया को बेचने की कोशिश की जा रही है। घाटे में चल रही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एयर इंडिया के टाटा ग्रुप और स्पाइसजेट के अजय सिंह ने बोली लगाई थी। इससे पहले साल 2018 में सरकार ने कंपनी में 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की कोशिश की थी, लेकिन उसे कोई रिस्पांस नहीं मिला था।
उल्लेखनीय है कि ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था की 68 साल बाद फिर टाटा समूह की होगी एयर इंडिया, सरकार ने टाटा समूह की बोली को स्वीकार कर लिया है। सरकार ने पूरी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए टेंडर मंगाई थी। सरकार ने इसमें पूरी 100% हिस्सेदारी बेचने के लिए टेंडर मंगाई थी। एअर इंडिया की दूसरी कंपनी एअर इंडिया सैट्स (AISATS) में सरकार इसी के साथ 50% हिस्सेदारी बेचेगी। एअर इंडिया के लिए जो कमिटी बनी है, उसमें वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण, कॉमर्स मंत्री पियूष गोयल और एविएशन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं।
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सूत्रों के अनुसार, एअर इंडिया का रिजर्व प्राइस 15 से 20 हजार करोड़ रुपए तय किया गया था। टाटा ग्रुप ने स्पाइस जेट के चेयरमैन अजय सिंह से करीबन 3 हजार करोड़ रुपए ज्यादा की बोली लगाई थी। उसके बाद से ही यह अनुमान था कि टाटा ग्रुप एअर इंडिया को खरीद सकता है। एअर इंडिया के लिए बोली लगाने की आखिरी तारीख 15 सितंबर थी। फिलहाल इन सभी खबरों का खंडन किया गया है और कहा गया है कि जब इस पर फैसला होगा तो इसकी जानकारी दी जाएगी !
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