नई दिल्ली । विश्व प्रसिद्ध दरगाह हजरत निजामुद्दीन औलिया सदियों से लोगों की अटूट आस्था का केंद्र रहा है। लोग अपनी मुरादें और मन्नत लिए इस आस्ताने पर अपनी हाजिरी देने आते हैं। इसमें हर खास-वो-आम शामिल होते हैं। अलबत्ता पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से दरगाह का कुछ अलग ही नाता रहा है। यही वजह है कि उनके इस दुनिया से रुख्सत होने के बाद दरगाह हजरत निजामुद्दीन शोकाकुल है। दरगाह से जुड़ा निजामी परिवार उनकी आत्मा की शांति के लिए तहे-दिल से दुआएं कर रहा है। दलअसल पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह और उनके सज्जादानशीन निजामी परिवार से बेहद लगाव था। सुषमा स्वराज अक्सर दरगाह से जुड़े पीर ख्वाजा को अपने लिए दुआ करने के लिए कहती थीं।
दरगाह से जुड़े सज्जादानशीन के पाकिस्तान में हुए अपहरण और उनकी सकुशल भारत वापसी में भी स्वराज ने बेहद अहम भूमिका निभाई थी। इसलिए सुषमा स्वराज के आकस्मिक निधन के बाद दरगाह से जुड़ा निजामी परिवार सदमे में है।पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज न केवल एक सफल राजनेत्री थीं बल्कि विदेश के मामलों में उनकी कूटनीतिक सूझबूझ का देश विदेश में डंका बजता था। ऐसे कई मामले सामने आए जब सुषमा स्वराज ने विदेश मंत्री होने की हैसियत से आगे बढ़कर उसे हल किया और विदेश में फंसे भारतीय नागरिकों की सकुशल वापसी को सुनिश्चित किया।दिल्ली स्थित प्रसिद्ध सूफी संत हजरत ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया दरगाह के दो सज्जादानशीन मौलाना आसिफ निज़ामी और उनके भतीजे नाजिम निज़ामी मार्च 2017 में लाहौर से कराची जाते समय एयरपोर्ट के बाहर से रहस्यमय ढंग से लापता हो गए थे।
एयरपोर्ट के बाहर उनका रिश्तेदार गाड़ी लेकर उनका इंतजार ही करता रहा और उसी समय कोई उन्हें हथियारों के बल पर अपनी गाड़ी में बैठाकर चला गया। यह खबर जैसे ही दिल्ली में निज़ामी परिवार को लगी, उनका रो-रोकर हाल बुरा हो गया। इसी दौरान निज़ामी परिवार ने दरगाह के कुछ और जिम्मेदारों के साथ तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से उनके निवास पर मुलाकात की और सारा मामला उन्हें बताया।परिजनों के मुताबिक सुषमा ने तत्काल पाक में मौजूद भारतीय उच्चायोग से बातचीत की और फिर पाक विदेश मंत्री से संपर्क साधा। इस कार्रवाई को लेकर सुषमा स्वराज ने एक के बाद एक कई ट्वीट भी किए। भारतीय विदेश मंत्री सुषमा के एक्टिव होते ही पाकिस्तान में हड़कंप मच गया।
सरकारी अमला उन दोनों सज्जादानशीन को तलाशने में जुट गया, क्योंकि सुषमा स्वराज मामले को खुद देख रही थीं। ऐसे में वहां मौजूद भारतीय अधिकारियों ने भी इन दोनों को तलाश करने और पाक सरकार पर दबाव बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। नतीजा यह हुआ कि दोनों को सकुशल भारत लाकर उनके परिवार तक पहुंचा दिया गया।परिजनों का मानना है कि यदि उस समय सुषमा स्वराज ने गंभीरता नहीं दिखाई होती तो आज उनके पिता उनके साथ नहीं होते। निज़ामी परिवार सुषमा स्वराज की आकस्मिक मौत से गहरे सदमे में है। मौजूदा समय में दरगाह हजरत निजामुद्दीन औलिया के सज्जादानशीन नाजिम निज़ामी पवित्र हज यात्रा पर सऊदी अरब गए हुए हैं। जबकि मौलाना आसिफ निज़ामी अस्वस्थ्य होने के कारण सुषमा स्वराज की अंतिम यात्रा में नहीं पहुंच पाए, लेकिन उनका परिवार सुषमा स्वराज की आत्मा की शांति के लिए दिल से दुआएं कर रहा है।
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