50 किलो सोने से बन रही है मां दुर्गा की प्रतिमा

कोलकाता। शक्ति की भूमि कहे जाने वाले पश्चिम बंगाल में महज 9 दिनों बाद ही दुर्गा पूजा का महोत्सव शुरू होने वाला है। एक से बढ़कर एक पंडाल, शानदार मूर्तियां और बेहतरीन थीम ना केवल बंगाल और भारत बल्कि पूरी दुनिया से लोगों को दुर्गा पूजा के दौरान पश्चिम बंगाल में  आकर्षित करते हैं। शक्ति की आराधना की इस सांस्कृतिक भूमि पर इस बार पूजा घूमने वालों के लिए विशेष आकर्षण की व्यवस्था की गई है। महानगर कोलकाता की पूजा समिति ने 50 किलो सोने से मां दुर्गा की प्रतिमा बनानी शुरू की है। एक सप्ताह के अंदर प्रतिमा निर्माण का काम पूरा हो जाएगा। इसे बनाने में करीब 20 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च हुई है। 13 फीट ऊंची मूर्ति कोलकाता के  सुप्रसिद्ध संतोष मित्र स्क्वायर  पूजा कमेटी द्वारा बनवाई जा रही हैै। आयोजकों का कहना है कि इस बार यहां भारी संख्या में लोग  पहुंचेंगे।   यहां घूमने  आने वाले लाखों लोगों की उपस्थिति को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा के पुख्ता व्यवस्था की गई है। कोलकाता पुलिस की खुफिया टीम अत्याधुनिक सीसीटीवी कैमरों की मदद से इसकी  निगरानी करेगी। इसके अलावा सशस्त्र पुलिसकर्मियों की तैनाती पंडाल परिसर में होगी। सामुदायिक पूजा के अध्यक्ष प्रदीप घोष ने कहा, “अतीत में किसी ने भी शुद्ध सोने में देवी के रूप की कल्पना नहीं की थी।  यह हमारी कनक दुर्गा (सोने की दुर्गा) है, जो ऊपर से नीचे की ओर 50 किलो सोने की लागत से बनी है। ” हालांकि, ऐसा नहीं है कि पूजा आयोजकों ने मूर्ति के लिए   अपनी जेब से खर्च की है।  मूर्ति बनाने के लिए सोने को उपलब्ध कराने के लिए एक से अधिक आभूषण ब्रांड आगे आए  हैं।  मूर्ति विसर्जन के बाद उन्हें सोना वापस मिल जाएगा। सामुदायिक पूजा के सचिव सजल घोष ने कहा, “हमने बड़ी संख्या में मल्टी नेशनल कॉरपोरेट्स को भी अपने साथ जोड़ा है जिन्होंने मूर्ति के लिए फंड मुहैया कराया है और त्योहार की ज्यादातर लागतें पूरी की हैं।” यह पहली बार नहीं है कि संतोष मित्रा पूजा आयोजकों ने सोने के ऐसे दिखावटी प्रदर्शन का सहारा लिया है।  2017 में उन्होंने देवी दुर्गा को सोने की साड़ी में लपेटा था।  पिछले साल, वह चांदी के रथ पर सवार थीं। मूर्ति के अलावा, पूजा घूमने आने वालों के आकर्षण के लिए यहां पंडाल भी काफी शानदार बनाया जाएगा। नादिया जिले के मायापुर में  वैष्णव हिंदू मंदिर इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) के निर्माणाधीन चंद्रोदय मंदिर की तरह ही इस बार संतोष मित्र स्क्वायर का पूजा पंडाल बन रहा है। पंडाल के अंदरूनी हिस्सों की विशाल शैली में शीशमहल बनाने के लिए कई टन कांच का उपयोग किया जा रहा है।  लगभग 200 कारीगर और कार्यकर्ता आयोजकों की योजनाओं को आकार देने के लिए पिछले ढाई महीनों से मेहनत कर रहे हैं। सजल घोष ने कहा, “हमारी संतुष्टि इस बात की है कि बहुत सारे सोने के कारीगरों और अन्य श्रमिकों को रोजगाार  मिल  रहा है।

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