मोदी सरकार ने रेलवे के 114 साल पुराने संगठनात्मक ढांचे के पुनर्गठन को दी मंजूरी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने भारतीय रेलवे के विभिन्न विभागों के बीच गुटबाजी और विभागवाद संबंधी मतभेदों को दूर करने के लिए संगठनात्मक पुनर्गठन को मंजूरी देकर 114 साल पुरानी विरासत को आधुनिक बनाने की पहल की है। इसके तहत अब रेलवे की ग्रुप-ए की मौजूदा आठ सेवाओं को भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (आईआरएमएस) नामक एक केंद्रीय सेवा में एकीकृत किया गया है। रेल बजट को केंद्रीय बजट में विलय करने के बाद, कैडर विलय ब्रिटिश विरासत के मद्देनजर अब तक का दूसरा सबसे बड़ा बदलाव होगा। इसके अलावा जोनल महाप्रबंधकों को केंद्र सरकार के सचिव के समकक्ष बना दिया गया है, वहीं रेलवे बोर्ड के सदस्यों की संख्या को भी घटाकर पांच कर दिया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंगलवार को हुई बैठक में भारतीय रेलवे के संगठनात्मक पुनर्गठन को मंजूरी दी गई। रेलमंत्री पीयूष गोयल ने कैबिनेट की बैठक के बाद आयोजित पत्रकार वार्ता में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि रेलवे के ग्रुप-ए की मौजूदा आठ सेवाओं का भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (आईआरएमएस) नामक एक केंद्रीय सेवा में एकीकरण किया गया है। इससे भारतीय रेलवे के मौजूदा इंजीनियरिंग, यातायात, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल, लेखा, भंडारण, कार्मिक, सिग्नल एवं टेलीकॉम सहित आठ कैडर के बजाय अब केवल एक भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा कैडर होगा। उन्होंने कहा कि रेलवे बोर्ड का पुनर्गठन कार्यात्मक तर्ज पर होगा, जिसकी अध्यक्षता सीआरबी करेंगे। इसमें चार सदस्यों के अलावा कुछ स्वतंत्र सदस्य होंगे। मौजूदा सेवा ‘भारतीय रेलवे चिकित्‍सा सेवा (आईआरएमएस)’ का नाम बदलकर भारतीय रेलवे स्‍वास्‍थ्‍य सेवा (आईआरएचएस) रखा जाएगा।

केन्द्रीय मंत्री गोयल ने कहा कि रेलवे बोर्ड का गठन अब से विभागीय तर्ज पर नहीं होगा और इसका स्था‍न एक छोटे आकार वाली संरचना लेगी, जिसका गठन कार्यात्मक तर्ज पर होगा। इसमें एक चेयरमैन होगा जो ‘मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी’ के रूप में कार्य करेगा। साथ ही चार सदस्‍य होंगे, जिन्‍हें अवसंरचना, परिचालन एवं व्‍यावसायिक विकास, रोलिंग स्‍टॉक एवं वित्तीय से जुड़े कार्यों की अलग-अलग जवाबदेही दी जाएगी। चेयरमैन दरअसल कैडर नियंत्रणकारी अधिकारी होगा, जो मानव संसाधनों(एचआर) के लिए जवाबदेह होगा और जिसे एक डीजी (एचआर) आवश्‍यक सहायता प्रदान करेगा। शीर्ष स्‍तर के तीन पदों को रेलवे बोर्ड से खत्‍म (सरेंडर) कर दिया जाएगा और रेलवे बोर्ड के शेष पद सभी अधिकारियों के लिए खुले रहेंगे, चाहे वे किसी भी सेवा के अंतर्गत आते हों।

बोर्ड में कुछ स्‍वतंत्र सदस्‍य (इनकी संख्‍या समय-समय पर सक्षम प्राधिकरण द्वारा तय की जाएगी) भी होंगे, जो गहन ज्ञान वाले अत्‍यंत विशिष्‍ट प्रोफेशनल होंगे और जिन्‍हें उद्योग जगत, वित्त, अर्थशास्‍त्र एवं प्रबंधन क्षेत्रों में शीर्ष स्‍तरों पर काम करने सहित 30 वर्षों का व्‍यापक अनुभव होगा। स्‍वतंत्र सदस्‍य विशिष्‍ट रणनीतिक दिशा तय करने में रेलवे बोर्ड की मदद करेंगे। बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद पुनर्गठित बोर्ड काम करना शुरू कर देगा। इसके तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अधिकारियों को पुनर्गठित बोर्ड में शामिल किया जाए अथवा उनकी सेवानिवृत्ति तक समान वेतन एवं रैंक में समायोजित किया जाए।

गोयल ने कहा कि रेलवे में सुधार के लिए गठित विभिन्‍न समितियों ने सेवाओं के एकीकरण की सिफारिश की है, जिनमें प्रकाश टंडन समिति (1994), राकेश मोहन समिति (2001), सैम पित्रोदा समिति (2012) और बिबेक देबरॉय समिति (2015) शामिल हैं। सात एवं आठ दिसम्बर को दिल्‍ली में आयोजित दो दिवसीय ‘परिवर्तन संगोष्ठी’ में रेल अधिकारियों की आम सहमति और व्यापक समर्थन से यह सुधार किया गया है। उन्होंने कहा कि इससे रेलवे बोर्ड एक अधिक बेहतर स्ट्रक्चर के रूप में कार्य करेगा। रेलवे बोर्ड, रेलवे चेयरमैन बोर्ड की अगुवाई में काम करेगा, जो मुख्य कार्यकारी अधिकारी होंगे। रेलवे बोर्ड अब चार कार्यकारी व कुछ स्वतंत्र सदस्य का होगा, यह सदस्य उद्योग, फाइनेंस, अर्थजगत व प्रबंधन क्षेत्र के सर्वोच्च स्तर पर 30 वर्षों के अनुभवी होंगे।

रेलमंत्री ने कहा कि ग्रुप-ए की आठ सेवाओं को भारतीय रेवले प्रबंधन सेवा में एकीकृत करने से रेलवे की कार्य प्रक्रिया अधिक बेहतर होगी। निर्णय लेने में तेजी आएगी और आर्गेनाइजेशन का बेहतर स्वरूप बनेगा। नौकरशाही पर लगाम लगे और तर्कसंगत निर्णयों को बढ़ावा मिलेगा।

This post has already been read 7267 times!

Sharing this

Related posts