कोलकाता। भाजपा ने तृणमूुल सुप्रीमों ममता बनर्जी पर दुर्गा पूजा को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया है। उल्लेखनीय है कि कोलकाता की विभिन्न दुर्गा पूजा कमेटियों से जुड़े ठेकेदारों और इवेंट मैनेजरों को भेजे गए आयकर नोटिस पर तृणमूल ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
ममता ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार दुर्गा पूजा कमेटियों पर आयकर के लिए दबाव बना रही है जबकि केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय की अधीनस्थ संस्था सेंट्रल बोर्ड आफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) की ओर से बयान जारी कर साफ कर दिया गया है कि किसी भी दुर्गा पूजा कमेटी को नोटिस नहीं भेजा गया बल्कि ठेकेदारों और इवेंट मैनेजरों को किए गए भुगतान का ब्यौरा मांगा गया है। इस पर मंगलवार देर रात पलटवार करते हुए ममता ने कहा कि सीबीडीटी का बयान भ्रामक है और कई दावे तथ्यात्मक तौर पर गलत हैं।
अब बुधवार को भाजपा ने ममता पर पलटवार करते हुए कहा कि जब पूजा कमेटियों को नोटिस भेजा ही नहीं गया तब ममता क्यों कह रही थीं कि केंद्र सरकार दुर्गा पूजा कमेटियों को नोटिस भेज रही है? आखिर दुर्गा पूजा के बहाने मुख्यमंत्री राजनीति क्यों कर रही हैं? भाजपा के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने ट्विट किया कि ममता बनर्जी को पहले यह बताना चाहिए कि मुस्लिमों के त्योहार मुहर्रम के लिए पूर्व में उन्होंने दुर्गा पूजा और विसर्जन पर भी रोक लगाकर रखी थी, उन्होंने ऐसा क्यों किया था। इसके पीछे उनका क्या मकसद था? सिन्हा ने कहा है कि दुर्गा पूजा कमेटियों में लगाई जाने वाली धनराशि के स्रोत के बारे में अगर आयकर विभाग जानना चाहता है तो इसमें नुकसान क्या है? उन्होंने कहा कि पूजा कमेटियों के कई महत्वपूर्ण पदों पर तृणमूल कांग्रेस के नेता बैठे हुए हैं।
ये नेता कट मनी और चिटफंड के काले धन को पूजा के बहाने सफेद कर रहे हैं। ममता को डर है कि इसका खुलासा हो जाएगा इसलिए हंगामा करने का पाखंड कर रही हैं। इसी तरह प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने भी मुख्यमंत्री पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने एक ट्वीट किया है जिसमें कहा है कि दुर्गा पूजा पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा उत्सव है लेकिन ममता बनर्जी लोकसभा चुनाव में हार के बाद इतनी हताश हो गई हैं कि अब इस महोत्सव को भी राजनीति का अखाड़ा बना रही हैं। दिलीप ने कहा कि झूठ बोलना मुख्यमंत्री की आदत है । घोष ने सीबीडीटी के उस बयान को भी सोशल साइट पर साझा किया है। उसमें बताया गया है कि कई ऐसे ठेकेदार तथा इवेंट मैनेजर हैं जो लंबे समय से आयकर का भुगतान नहीं कर रहे हैं जबकि दुर्गा पूजा कमेटियों की ओर से उन्हें आयकर भुगतान के लिए भी बड़ी धनराशि दी जाती है। केवल उन लोगों का डिटेल इनकम टैक्स की ओर से मांगा गया था। दिलीप ने कहा है कि जब यह पारदर्शी और साफ-सुथरी प्रक्रिया है तब ममता ने उसे दुर्गा पूजा से जोड़कर क्यों प्रचारित किया, इसका जवाब दिया जाना चाहिए।
क्या ममता इतनी तुच्छ राजनीति करेंगी कि दुर्गा पूजा जैसे त्यौहार का भी राजनीतिक इस्तेमाल होने लगे?उल्लेखनीय है कि पिछले साल दिसंबर महीने में कोलकाता की 30 दुर्गा पूजा कमेटियों को इनकम टैक्स की ओर से एक नोटिस देकर टीडीएस से संबंधित जानकारी मांगी गई थी। आयकर अधिकारी यह जानना चाहते थे कि दुर्गा पूजा से जुड़े ठेकेदार और इवेंट मैनेजर को जो भुगतान किया जाता है उसमें वह कर भुगतान की राशि भी ले जाते हैं या नहीं। कई दुर्गा पूजा समितियों ने स्वेच्छा से यह जानकारी आयकर विभाग को दी थी और टीडीएस के संबंध में प्रशिक्षण का भी अनुरोध किया था लेकिन मुख्यमंत्री ने इसे मुद्दा बना दिया और दावा किया था कि दुर्गा पूजा कमेटियों को सीधे नोटिस भेज, आयकर देने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
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