नई दिल्ली । उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र से पहले आज विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बैठक की तथा सदन की कार्यवाही को सार्थक और लाभकारी बनाने पर जोर दिया। नायडू ने कहा कि राज्यसभा के इस 250वें सत्र को पिछले सत्र की तरह ही विधायी कार्य की दृष्टि से उत्पादक बनाने की जरूरत है। उन्होंने इसके लिए सभी दलों से सहयोग की अपेक्षा की।
सभापति ने इस अवसर पर एक पुस्तक “राज्य सभा : द जर्नी सिंस 1952” (राज्यसभा : वर्ष 1952 से अब तक का सफर) का लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि गहन शोध के आधार पर तैयार की गई इस पुस्तक में सदन में अब तक की विधायी कार्यवाही और विधेयकों का विवरण है।
संसदीय लोकतंत्र में राज्यसभा की भूमिका का उल्लेख करते हुए सभापति ने कहा कि राज्यसभा देश में सामाजिक आर्थिक परिवर्तनों का अहम हिस्सा रही है। उन्होंने कहा कि देश के लोगों की आशा अपेक्षा पूरा करने तथा संविधान निर्माताओं के सपनों को साकार करने के लिए अभी हमें लम्बी यात्रा तय करनी है।
उन्होंने कहा कि राज्यसभा एक जीवंत और मार्गदर्शक संस्था रही है। हमने कुछ अवसरों को खोया है लेकिन पिछले 67 वर्षों के अनुभव के आधार पर हमें संसद को और सार्थक बनाना है। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि आने वाले दिनों में हम खोये अवसरों की भरपाई करें और नए भारत के निर्माण के लिए स्वयं को समर्पित करें।
राज्यसभा के कामकाज पर प्रकाशित पुस्तक के अनुसार इस उच्च सदन ने पिछले 67 वर्षों के दौरान 3817 विधेयकों को पारित किया। सदन में अब तक 2282 सदस्यों की मौजूदगी रही, जिनमें 208 महिलाएं और 137 नामांकित सदस्य थे। महिला सदस्यों की संख्या 1952 में केवल 15 थी, जो वर्ष 2014 में बढ़कर 31 हो गई।
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