- काउंसलिंग प्रक्रिया 14 जून तक पूरी करने के निर्देश
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया है कि वो पीजी मेडिकल और डेंटल कोर्स के दाखिले के लिए नए सिरे से काउंसलिंग करे। जस्टिस इंदू मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली वेकेशन बेंच ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वो ये प्रक्रिया 14 जून तक पूरा करे। आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि हमें छात्रों की चिंता है। छात्रों के इस हाल के लिए महाराष्ट्र सरकार जिम्मेदार है। ये हर साल होता है और छात्रों को अपने दाखिले को लेकर अनिश्चितता बनी रहती है। आप पूरी शिक्षा व्यवस्था को सुव्यवस्थित क्यों नहीं करते हैं। सारा टेंशन छात्रों पर क्यों डालते हैं, क्या वे पक्षकार हैं। कोर्ट ने कहा कि हम राज्य सरकार के अलावा केंद्र सरकार से भी कहना चाहते हैं कि वे छात्रों की तकलीफों पर ध्यान दें। दरअसल कुछ छात्र जिनका सेलेक्शन पहले ही हो चुका है उन्हें दाखिले के लिए काउंसलिंग के लिए नहीं बुलाया गया था। इसके बाद इन छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पिछले तीन जून को सुनवाई करते हुए जस्टिस एमआर शाह ने कहा था कि इस मामले का निपटारा जल्द ही करना होगा नहीं तो छात्र एक कोर्ट से दूसरे कोर्ट के चक्कर काटते रहेंगे और इस वजह से पढ़ाई भी शुरू नहीं पाएगी। पिछले 30 मई को कोर्ट ने कहा था कि महाराष्ट्र में चल रहे पीजी मेडिकल कोर्स में दाखिले में सामान्य वर्ग के गरीब छात्रों के लिए 10 फीसदी आरक्षण कोटा लागू नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के नोटिफिकेशन पर रोक लगाते हुए कहा था कि आर्थिक रूप से पिछड़े कोटे के लिए संविधान संशोधन होने से पहले ही प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी, आप बीच में नियम नहीं बदल सकते हैं। दरअसल महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पीजी मेडिकल में दाखिले में सामान्य वर्ग के गरीब छात्रों को दस फीसदी आरक्षण देने को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करने की मांग की थी। महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि इसमें किसी भी तरह के हस्तक्षेप से पूरी दाखिला प्रक्रिया प्रभावित होगी। पिछले 27 मई को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) को नोटिस जारी किया था। याचिका जनहित अभियान नामक संस्था और तीन अन्य लोगों ने दायर किया है। याचिका में पीजी मेडिकल में दाखिला में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को दस फीसदी आरक्षण के प्रावधान को लागू करने से रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई है।
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