रांची । महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में जिस तरह मतदाताओं ने स्थानीय मुद्दों को तरजीह दी उससे भाजपा का उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली। इसे देखते हुए उम्मीद यही है कि झारखंड विधानसभा चुनाव में भी स्थानीय मुद्दों के ही हावी रहने की संभावना है। इसी वजह से दोनों राज्यों के चुनाव परिणाम बाद झारखंड में भाजपा नेता नयी रणनीति के साथ चुनावी तैयारियों में जुट गये हैं, वहीं विपक्षी दल भी नये उत्साह के साथ महागठबंधन बनाकर भाजपा की सत्ता को उखाड़ने की चर्चा कर रहे हैं।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि जिस तरह से दो राज्यों के चुनाव परिणाम आये है, उससे यह साबित हो गया है कि जनता ने भाजपा की नीतियों को खारिज कर दिया है और आने वाले विधानसभा चुनाव में भी इसी तरह का परिणाम दोहराया जाएगा।
प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने बताया कि महागठबंधन में सीटों के बंटवारे और उम्मीदवारों के नाम पर विचार-विमर्श का सिलसिला लगातार चल रहा है। 30 अक्टूबर को रांची में पार्टी की जनाक्रोश रैली होने वाली है। इस रैली के बाद गठबंधन के स्वरूप को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
भाजपा चुनाव में जहां विकास, घर-घर उज्ज्वला गैस कनेक्शन, किसानों को सहायता, शौचालय और पक्का मकान, बिजली-पानी की सुविधा के साथ ही अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के ऐतिहासिक फैसले को भुनाने की कोशिश में है, वहीं विपक्षी दलों की ओर से सीएनटी-एसपीटी एक्ट, स्थानीय नियोजन नीति, भूमि अधिग्रहण, विस्थापन, पलायन, बेरोजगारी और आर्थिक मंदी को लेकर जोर-शोर से उठाये जाने की रणनीति बनायी गयी है।
This post has already been read 7115 times!