रांची । वामदलों के देशव्यापी साझा अभियान के तहत भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), भारत की कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माले (भाकपा माले) व मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) के कार्यकर्ताओं ने बुधवार को राजभवन मार्च किया।
यह मार्च देश मे व्याप्त आर्थिक मंदी, महंगाई, सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण, बेरोजगारी, किसानों की बदहाली व श्रम कानूनों में मालिक पक्षीय संशोधन के खिलाफ आयोजित किया गया था। मार्च राजभवन के समक्ष पहुंच कर जन सभा मे तब्दील हो गया। इसमें शामिल लोगों को वामदलों के नेताओं ने संबोधित किया। सभा में सबसे पहले मार्च के जरिये दिये जाने वाले ज्ञापन को सुखनाथ लोहरा ने पढ़ कर सुनाया।
राजभवन मार्च शहीद चौक से शुरु हुआ था। मार्च में शामिल वामदलों के कार्यकर्ता मोदी सरकार की कथित कारपोरेट परस्त नीतियों के खिलाफ नारे लगा रहे थे।
सभा को सम्बोधित करते हुए भाकपा के राज्य सचिव भुवनेश्वर प्रसाद मेहता ने कहा कि देश में बरोजगारी पिछले 70 साल में सबसे अधिक हुई है। किसानों भी बदहाल है। इन सब बातों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए कभी धारा 370 तो कभी मॉब लिंचिंग जैसी कार्रवाई सरकार के संरक्षण में करायी जा रही है। सभा को माकपा के राज्य सचिव जी.के. बख्शी व भाकपा माले के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद ने भी सम्बोधित किया। सभा के बाद वामदलों के प्रतिनिधि मंडल ने प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन रांची के उपायुक्त को सौंपा।
मार्च का नेतृत्व भाकपा के जिला सचिव अजय कुमार सिंह, माकपा के जिला सचिव सुखनाथ लोहरा, माले के शुभेंदु सेन व मासस के सुशांतो मुखर्जी संयुक्त रूप से कर रहे थे।
मार्च में सीटू के राज्य सचिव प्रकाश विप्लव, किसान नेता प्रफुल्ल लिंडा, महिला नेत्री वीणा लिंडा, भाकपा के सूबेदार राम, उमेश नज़ीर, मेहुल मृगेन्द्र, अनीस, ललन सिंह, मनोज ठाकुर, केवला उरांव, लक्ष्मी लोहरा सहित कई लोग मौजूद थे।
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