रांची । झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश में विभिन्न राजनीतिक दल सक्रिय हो गये हैं। सभी दल के उम्मीदवार नामांकन दाखिल कर प्रचार-प्रसार में जुटे हैं।
इधर झारखंड में खोई जमीन दोबारा पाने में जनता दल यूनाईटेड (जदयू) जुट गया है। जदयू ने लोकसभा चुनाव से ही विधानसभा चुनाव की तैयारी करनी शुरू कर दी थी। अब देखना यह है कि क्या जदयू अपनी खोई जमीन को पा सकेगा। जदयू ने अभीतक 10 से 15 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है। हालांकि जदयू ने राज्य की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू बड़े आदिवासी नेता है। वह पूर्व में सांसद भी रहे हैं। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष का फोकस बिहार से सटे सीमावर्ती विधानसभा क्षेत्र और दक्षिणी छोटानागपुर के विधानसभा क्षेत्र हैं। इनमें से कुछ वैसे विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां से पार्टी पहले भी जीतती रही है। पूर्व में जदयू भवनाथपुर, पांकी, डालटनगंज, छतरपुर, तमाड़, डुमरी, मांडू, बाघमारा और देवघर में जीतती रही है। लेकिन 2014 के विधानसभा चुनाव में जदयू का झारखंड से सफाया हो गया। जदयू का जो भी जनाधार झारखंड में बचा था, 2014 के बाद खत्म हो गया।
जदयू के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष जलेश्वर महतो पार्टी छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गये। जिसके बाद सालखन मुर्मू जदयू के प्रदेश अध्यक्ष बने। अब देखना यह है कि सालखन मुर्मू पर राज्य की जनता कितना भरोसा करती है। क्योंकि जदयू के झारखंड विधानसभा चुनाव प्रभारी रामसेवक सिंह ने कहा है कि अगर झारखंड में उनकी सरकार बनती है तो बिहार की तरह यहां भी नीतीश कुमार मॉडल लागू किया जायेगा। झारखंड में शराबबंदी की जायेगी।
उल्लेखनीय है कि बिहार से अलग राज्य होने के बाद झारखंड में जदयू और समता पार्टी के आठ विधायक थे। दोनों दलों का जदयू में विलय हो गया। विधानसभा चुनाव 2005 में जदयू के विधायकों की संख्या आठ से घटकर पांच और 2009 में ये सिमटकर दो रह गयी थी। 2014 के मोदी लहर में राज्य में पार्टी सूपड़ा साफ हो गया।
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