पेरिस। इटली ने बचाव पोत ओसियन वाइकिंग को दक्षिणी बंदरगाह लैम्पेडुसा में 82 प्रवासियों को उतारने की अनुमति दे दी है। पोत का संचालन करने वाले एसओएस मेडिटिरैनी चैरिटी ने शनिवार को यह जानकारी दी। एसओएस मेडिटिरैनी ने ट्वीट किया, ‘‘ओसियन वाइकिंग को अभी- अभी रोम के मैरीटाइम रेस्क्यू को-ऑर्डिनेशन सेंटर से लैम्पेडुसा की तरफ बढ़ने का निर्देश प्राप्त हुआ है।’’ फ्रांस के गृह मंत्री क्रिस्टोफर कास्टनर ने कहा, ‘‘इटली, फ्रांस, जर्मनी, पुर्तगाल और लग्जमबर्ग के बीच पोत को लंगर डालने देने के लिए अस्थायी यूरोपीय समझौता हुआ है।’’ वह प्रवासियों को पांच देशों के बीच बांटने का जिक्र कर रहे थे। कास्टनर ने कहा, ‘‘अब हमें वास्तविक अस्थायी यूरोपीय व्यवस्था पर सहमत होने की जरूरत है।’’ ओसियन वाइकिंग अपने दूसरे मिशन पर था और प्रवासियों को तट पर उतारने के लिए माल्टा और इटली के बीच करीब दो हफ्ते से चक्कर लगा रहा था। एसओएस मेडिटिरैनी के साथ संयुक्त रूप से पोत का संचालन करने वाले मेडेसिन्स सैन्स फ्रंटियर्स ने कहा कि प्रवासी लोगों के समूह में 58 पुरुष, छह महिलाएं और 18 बच्चे शामिल हैं। राजनयिक सूत्रों ने हाल में कहा था कि ओसियन वाइकिंग ने अपने पहले मिशन पर 356 प्रवासियों को बचाया। यूरोपीय देशों के बीच भूमध्यसागर में बचाए गए प्रवासियों के बंटवारे के लिए इटली स्वत: व्यवस्था लागू करने का प्रयास कर रहा है। इस तरह के समझौते से उत्तर अफ्रीका से पार करने वाले प्रवासियों को बचाने के बाद उन्हें कौन देश अपने यहां शरण देगा, इस पर मामले- दर- मामले समझौते का अंत होगा। इटली के रिपब्लिका और स्टाम्पा दैनिक ने खबर दी है कि फ्रांस और जर्मनी ने नयी व्यवस्था को हरी झंडी दे दी है जिसमें लग्जमबर्ग, माल्टा, पुर्तगाल, रोमानिया और स्पेन भी शामिल हो सकते हैं।
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