केवल दवा से शुगर ठीक करना मूर्खता होगा,गम्भीर डायबिटीज़ का इलाज सम्भव है

Health : जसलोक अस्पताल के प्रसिद्ध चिकित्सक डाक्टर जितेंद्र सिन्हा का मानना है कि डायबिटीज़ के इलाज के लिए हम अक्सर बड़े से बड़े अस्पताल की तलाश में होते हैं। हमें लगता है कि सुपर स्पेशलिस्ट किसी तरकीब से बढ़े हुए शुगर को नियंत्रित कर देंगे।भारत में कुल ४ प्रकार की ही ओरल दवाएं उपलब्ध है।इसमें गिलिफिजोन (SGLT2)सबसे शक्तिशाली दवा है।यह पेशाब के द्वारा शरीर में जमा शुगर को बाहर कर देता है।दवा के सेवन के बाद दुगनी मात्रा में पानी पीना आवश्यक है ताकि अधिक मात्रा में बार- बार पेशाब हो सके। अन्य दवाओ के विपरित इस दवा को इन्सुलिन की सहायता या उसे बढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ती।

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गिलपटिन (DPP4 )दूसरी श्रेष्ठ दवा है।एक ओर यह अधिक इन्सुलिन उत्पादन कराता है दूसरी ओर इन्सुलिन रेसिस्टेंस को ठीक कर देता है। गिलपटीन और गिलिफिजोन को एक साथ मिलाकर (फिक्स्ड डोज कम्बिनेशन)दिया जा सकता है।पायोगिलटाजोन इन्सुलिन रेसिस्टेंस ठीक करने की प्रभावी इलाज है। इन्सुलिन रेसिस्टेंस का अर्थ है इन्सुुलिन का पर्याप्त मात्रा में निर्माण किन्तु मांसपेशियों तक पहुंच पाने मे असमर्थता। यह डायबिटीज़ का भयावह स्वरुप है। इन्सुलिन रेसिस्टेंस से बचाव में विटामिन डी ३को काफी प्रभावी माना गया है

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मेटफारमिन, गिलिपिजाइड और गिलकलाजाइड सबसे नीचले स्तर की दवा है। शुरुआती स्तर और कम शुगर में ये दवाएं अच्छा काम करती है। किन्तु शुगर उपर उछलने पर इसके डोज को नहीं बढाया सकता क्योंकि गिलिपिजाइड और गिलिकलाइड की अधिक मात्रा से इन्सुलिन का उत्पादन सूख जाता(fatigue beta cell) है। परिणाम स्वरूप मरीज कृत्रिम इन्सुलिन लेने को मजबूर हो जाता है।२ ग्राम से अधिक मेटफोरमिन किडनी को डैमेज कर सकता है।केवल दवा से शुगर ठीक करना मूर्खता होगा।दवा के साथ भोजन की मात्रा कम करनी होती है।चावल,आलू,मीठे स्वाद वाले फल से परहेज़ जरूरी है।HBA1C ( चार महीने का शुगर जांच ) ५.५से ६.५% के बीच रहे तथा कोलोसट्रोल २००से अधिक न हो। सभी का ख्याल रखना होता है।

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