चंद्रयान-2ः सपनों और ख़्वाहिशों का वैज्ञानिक मिशन

नई दिल्ली। यह सपनों की उड़ान है। मंजिल को हासिल करने की हसरतों का मिशन है। इसका या उसका नहीं, यह भारतीय भू-भाग के साझा सपने को हकीकत में बदलने का मौका है। घड़ी बिल्कुल करीब है। पश्चिम जिस भारत को  संपेरों के देश के रूप में पहचानता रहा, वही देश विज्ञान का ऐसा कारनामा करने जा रहा है। यह कारनामा दुनिया के कुछेक चुनिंदा देशों ने ही किया है। कई मायनों में भारत का यह कारनामा नितांत मौलिक है, जो अबतक विशाल वैज्ञानिक संपदा वाले किसी दूसरे देश ने भी नहीं किया। मिशन के कामयाब होने पर पश्चिम का दृष्टिकोण तो बदलेगा ही, भारतीय वैज्ञानिकों की मेधा की चकाचौंध से दुनिया की आंखें भी खुलेंगी।

भारतीय मून मिशन के दूसरे अहम हिस्से का काउंट डाउन शुरू हो चुका है। 15 जुलाई को चंद्रयान-2 लॉन्च किया जाएगा। इसके लिए तमाम जरूरी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सोमवार रात 2 बजकर 51 मिनट पर जब पूरा देश निद्रा में होगा, इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) का यह बेहद महत्वाकांक्षी मिशन अपने नए सफर पर रवाना होगा। लॉन्चिंग के बाद 52 दिनों का वक्त और चंद्रयान-2 चांद की सतह पर उतरेगा। यानी, सपनों के मंजिल तक पहुंचने में 52 दिनों का वक्त है। इस मिशन की लागत एक हजार करोड़ रुपये है।

माता चेंगलम्मा से कामयाबी के लिए प्रार्थनाः यह मिशन खास है, इसलिए तमाम जरूरी वैज्ञानिक तैयारियों के साथ-साथ ईश्वर से भी इस मिशन के कामयाब होने की कामना की गई। एकदिन पहले शनिवार को इसरो के अध्यक्ष डॉ.के सिवान ने आंध्र प्रदेश के नेल्लोरे जिले के सुल्लुरपेट मंडल स्थित माता चेंगलम्मा मंदिर में माता की विशेष पूजा-अर्चना कर मिशन की कामयाबी की प्रार्थना की। 

बाहुबली की ताकतः इस मिशन की सफलता का एक बड़ा भार `बाहुबली’ पर है। चंद्रयान-2 को जीएसएलवी मैक-3  से प्रक्षेपित किया जाएगा। इसे `बाहुबली’ का नाम दिया गया है। इस नाम के पीछे वजह यह है कि यह चार टन क्षमता तक के उपग्रह को ले जाने की ताकत रखता है।

4 चरण और 52 दिनः चंद्रयान-2 मिशन के लिए तीनों मॉड्यूल ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) प्रक्षेपण के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। चार चरणों में यह मिशन 52 दिनों में पूरा होगा। लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान-2 पृथ्वी की कक्षा में पहुंचेगा। 16 दिन पृथ्वी की परिक्रमा के बाद यह चांद की ओर बढ़ेगा। पांच दिनों बाद चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में पहुंचेगा। चंद्रमा की कक्षा के पहुंचने के बाद 27 दिनों तक चक्कर लगाते हुए उसकी सतह की ओर बढ़ेगा। सतह के करीब पहुंचकर चंद्रयान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर उतरेगा, जिसमें चार दिन का वक्त लगेगा। इन चार चरणों के पूरा होने के बाद लैंडर और रोवर 14 दिनों तक एक्टिव रहेंगे, जो वहां मौजूद तत्वों का अध्ययन कर तस्वीरें भेजेगा।

जहां न पहुंचा कोई, वहां पहुंचेगा भारतः  6 सितंबर को लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। चंद्रमा के इस हिस्से में अभीतक कोई भी देश नहीं पहुंच पाया है। इस हिसाब से इसरो का यह महत्वपूर्ण मिशन दुनिया के लिए अलग मायने रखता है। इस मिशन की कामयाबी भारत को उन अहम देशों की सूची में शामिल कराएगी जो चांद की सतह पर लैंडिंग कर चुके हैं। ऐसा करने वाला भारत केवल चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन अपने यान चांद की सतह पर भेज चुके हैं। इससे पहले भारत 2009 में चंद्रयान मिशन की शुरुआत करते हुए चंद्रमा की परिक्रमा के लिए भेजा था, लेकिन चांद की सतह पर उसे उतारा नहीं जा सका था।

मिशन का मकसदः चंद्रयान-2 की कामयाबी से चंद्रमा की सतह पर पानी की मात्रा का अध्ययन किया जा सकेगा। इसके साथ ही चंद्रमा के मौसम और वहां मौजूद खनिज तत्वों का अध्ययन भी किया जा सकेगा।

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