नई दिल्ली । दिल्ली में संत रविदास मंदिर मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पुरानी जगह पर रविदास मंदिर का पक्का ढांचा बनेगा, अस्थायी नहीं। ये मंदिर रविदास सरोवर से जुड़ा होगा। श्रद्धालुओं के मंदिर बनाने में प्रशासन अड़चन नहीं डालेगा।
पिछले 21 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने रविदास मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए रास्ता साफ कर दिया था। कोर्ट ने केंद्र सरकार के तुगलकाबाद में 400 वर्ग मीटर का भूखंड देने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था। कोर्ट ने केंद्र सरकार के उस प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी थी, जिसमें दोबारा बनाए जाने वाले मंदिर का प्रबंधन श्रद्धालुओं की कमेटी को सौंपने की बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट ने रविदास मंदिर को गिराने के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार सभी लोगों को निजी मुचलके पर रिहा करने का भी आदेश दिया था।
पिछले 18 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने कहा था कि पहले जहां मंदिर थी उसी जगह पर जमीन दी जाएगी। जंगल की जमीन में बने मंदिर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर डीडीए ने हटा दिया था।
पिछले चार अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सभी लोगों की भावनाओं को समझते हैं। कोर्ट ने कहा कि फॉरेस्ट लैंड पर मंदिर का निर्माण हुआ था। किसी दूसरी जमीन पर मंदिर की स्थापना को लेकर सभी पक्ष आपस में सुलह समझौते से हल निकालें।
हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रविदास मंदिर के पुनर्निर्माण की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि 1509 से मौजूद मंदिर को गिराए जाने से धार्मिक आस्था को ठेस पहुंची है। याचिका में कहा गया है कि संत रविदास को मानने वाले लोगों को वहां पूजा करने का अधिकार है। याचिका में कहा गया है कि मंदिर 600 साल पुराना है, इस लिहाजा इसपर नए कानून लागू नहीं होते। सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले पर पुनर्विचार करे और मंदिर के निर्माण का आदेश दे। याचिका में पूजा के अधिकार के लिए संविधान की धारा-21ए का हवाला दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद डीडीए ने पिछले 10 अगस्त को मंदिर गिरा दिया था। इसके खिलाफ दिल्ली में पिछले 23 अगस्त को प्रदर्शन भी किया गया था। विरोध प्रदर्शनों पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि इस धरती पर किसी को भी कोर्ट के आदेश को सियासी रंग देने का अधिकार नहीं है। ये बन्द होना चाहिए। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने पिछले 19 अगस्त को ये टिप्पणी की थी।
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