निजीकरण एवं आउटसोर्सिंग के खिलाफ कोल सेक्टर में असंतोष, सियासत हुई तेज

धनबाद : काले हीरे के उत्पादन के लिए मुख्य रूप से झारखंड की पहचान है. काले हीरे का असर सियासत में भी होना लाजिमी है. अंग्रेजों के शासनकाल से ही कोयला धनबाद की पहचान है. कोयलांचल की राजनीति में अपना रुतबा बरकरार रखने वाले नेताओं को भी कोयले से ही सही मायने में एनर्जी मिलती है. इसीलिए कोयला भी एक अहम मुद्दा है. धनबाद में भूमिगत आग और पुनर्वास से हटके भी कोयले से जुड़े एक नहीं, बल्कि अनेक मुद्दे हैं. इन मुद्दों का लोकसभा चुनाव पर असर भी लाजिमी है. एक समय था जब कोल इंडिया एवं बीसीसीएल सहित अन्य अनुषंगी कंपनियों में 8 लाख के करीब मैनपावर हुआ करता था. हाल के दिनों में यह आंकड़ा घटकर 2 लाख 80 हजार रह गया है. विभागीय श्रमिकों की जगह ठेका मजदूर लेते जा रहे हैं. समय बदला तकनीक बदली और प्रबंधन में परिवर्तन के साथ कोल कर्मियों की लगातार संख्या घटती जा रही है. राष्ट्रीयकरण के मुकाबले आज कोल कर्मियों की संख्या आधी से भी कम हो गयी है. कोल इंडिया के अन्य अनुषंगी कंपनियों को छोड़ अकेले बीसीसीएल की बात करें, तो राष्ट्रीयकरण के बाद बीसीसीएल में मैनपावर एक लाख 76 हजार के करीब था. जो अब महज 67 हजार लोग कार्यरत हैं. बीसीसीएल में हर माह औसतन 500 कर्मी रिटायर्ड हो रहे हैं और बहाली न के बराबर है. सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया में सरकार की हिस्सेदारी के विनिवेश का यूनियनें लगातार विरोध करते आ रही है. विनिवेश के पक्ष में एनडीए और यूपीए दोनों सरकारें रही हैं. वर्तमान स्थिति यह है कि अब कोल इंडिया में सरकार का स्वामित्व 72 फीसदी ही रह गया है. निजीकरण एवं आउटसोर्सिंग के खिलाफ कोल सेक्टर में असंतोष है. मजदूर संगठन सीटू के वरिष्ठ वयोवृद्ध नेता एसके बख्शी कहते हैं कि कोल सेक्टर एक बार फिर से निजीकरण की ओर बढ़ रहा है. कॉरपोरेट घरानों के हाथों में देने की सरकार की यह एक साजिश है.

हालांकि बीसीसीएल में आयी भारी मैनपावर में कमी का कोयले के उत्पादन पर कोई भी असर नहीं है. आउटसोर्सिंग के बाद बीसीसीएल की उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी हो रही है. वित्तीय वर्ष 1974-75 में 17.74 मिलियन टन,1984-85 में 21.84 मिलियन टन और 2004-05 में 22.31मिलियन टन बीसीसीएल ने कोयले का उत्पादन किया था. 2008-09 में यह आंकड़ा 25.31 मिलियन टन था. जबकि इस वर्ष 37 मिलियन टन बीसीसीएल में उत्पादन का आंकड़ा पहुंच गया है. बीसीसीएल में बढ़े कोयले के उत्पादन पर इसे चुनावी मंच के माध्यम से कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने धनबाद में लोगों के बीच रखा. उन्होंने कहा साल 2009 से 2014 के बीच सिर्फ 37 मिलियन टन कोयले का उत्पादन बढ़ा था, लेकिन 2014 से 19 के बीच लगभग 4 गुना कोयले का उत्पादन बढ़ा है. जिसके कारण झारखंड को दो गुना रॉयल्टी मिलती है. उन्होंने कहा कि इस रॉयल्टी से झारखंड में कई योजनाओं का काम शुरू हुआ है.

धनबाद लोकसभा के दो बार सांसद रहे भाजपा प्रत्याशी पीएन सिंह ने आउटसोर्सिंग का ठीकरा कांग्रेस के माथे पर फोड़ डाला. उन्होंने कहा कि साल 2006 में कोयले के उत्पादन को आउटसोर्सिंग के माध्यम से कांग्रेस ने शुरू किया. कांग्रेस लोगों में यह भ्रम फैला रही है कि देश मे बीजेपी यदि सत्ता में आयी, तो बीसीसीएल को प्राइवेट हाथों में सौंप देगी. ऐसा कह कर कांग्रेस लोगों गुमराह करने का काम कर रही है.

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