नई दिल्ली। आर्थिक सुस्ती और राजस्व प्राप्ति कम रहने की आशंकाओं के बीच वित्त मंत्रालय का कहना है कि कल्याणकारी योजनाओं के लिये आवंटित बजट में कमी नहीं होने दी जायेगी और उसने विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से खर्च में तेजी लाने को कहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार शाम यहां संवाददाताओं के साथ अनौपचारिक बातचीत में कहा, ‘‘हमने इसकी समीक्षा की है। कई योजनाओं में धन का इस्तेमाल नहीं हुआ है।’
’ उन्होंने इस मामले में विशेषकर, किसान सम्मान निधि का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि हम मंत्रालयों, विभागों से कह रहे हैं कि आवंटित बजट का इस्तेमाल करें। कई मंत्रालय और विभाग हैं जिन्होंने आवंटित बजट का कम इस्तेमाल किया है। कृषि मंत्रालय, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, पंचायती राज, जल शक्ति मंत्रालय सहित कई मंत्रालय हैं जिन्होंने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में पिछले साल के मुकाबले कम खर्च किया है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने पिछले साल सितंबर के 64 प्रतिशत के मुकाबले इस साल सितंबर तक आवंटित बजट का करीब 40 प्रतिशत ही खर्च किया है। सरकार ने पीएम किसान योजना के लिये चालू वित्त वर्ष में 75,000 करोड़ रुपये का बजट रखा है।
इसके तहत किसानों को पूरे साल के दौरान 6,000 रुपये उपलब्ध कराये जा रहे हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार के अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ाने और सुस्ती दूर करने के उपायों का असर आने वाले दिनों में दिखने लगेगा। सरकार द्वारा कंपनी कर में कटौती करने के बाद उद्योगों ने नये निवेश को लेकर योजना बनानी शुरू की है। रीयल एस्टेट क्षेत्र की चार कंपनियों ने सरकार से क्षेत्र के लिये घोषित 25 हजार करोड़ रुपये के वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) से उन्हें मदद दिये जाने का अनुरोध किया है। ये कंपनियां तीन शहरों मुंबई, बेंगलुरू और हैदराबाद की हैं।
उन्होंने कहा कि अगले सप्ताह देश के अन्य भागों से भी कंपनियां इस सुविधा का लाभ उठाने का अनुरोध कर सकती हैं। उल्लेखनीय है कि सरकार ने 1,600 से अधिक अटकी आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिये इस महीने की शुरुआत में 25 हजार करोड़ रुपये का कोष बनाने को मंजूरी दी है। उन्होंने यह भी कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को बैंकों से नकदी उपलब्ध कराये जाने के मुद्दे पर रिजर्व बैंक और बैंकों से इस संबंध में आंकड़े मंगाये हैं। अगले सप्ताह इस संबंध में बैंकों के साथ वह बैठक करेंगी।
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