हरिद्वार। भानूपुरा पीठ के निवृत्त शंकराचार्य, पद्म भूषण व भारत माता मंदिर के संस्थापक स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि मंगलवार सुबह अपने हरिपुर कलां स्थित आश्रम राघव कुटी में ब्रह्मलीन हो गए। वे काफी दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। विगत 16 जून को उनका स्वास्थ्य अत्यधिक खराब हो गया था। इसके बाद उन्हें देहरादून के मैक्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा था। लंबे समय तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद पांच दिन पूर्व उन्हें आश्रम लाया गया। आश्रम में उनके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं आया। उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए आश्रम परिसर में ही धार्मिक अनुष्ठान किए जा रहे थे, लेकिन मंगलवार सुबह वह ब्रह्मलीन हो गए। उनके ब्रह्मलीन होने से संत समाज सहित हिंदू समाज में शोक की लहर छा गई। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने गहरा शोक व्यक्त किया है। स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि के शिष्य और श्री दशनाम पंचायती अखाड़ा जूना के आचार्य महा मण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने बताया कि स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि को उनके निवास स्थान राघव कुटीर में बुधवार को भू-समाधि दी जाएगी। संतों का राघव कुटी पहुंचना और उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए प्रमुख लोगों का पहुंचना आरम्भ हो गया है। कई संतों व राजनेताओं ने ट्वीट के माध्यम से भी स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि को श्रद्धासुमन अर्पित किए। स्वामी सत्यमित्रानन्द संन्यासी होते हुए भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारवान स्वंयसेवक और विहिप के केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल के आजीवन सदस्य रहे।
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