Jharkhand : गुजराती के प्रसिद्ध लेखक भोला भाई पटेल की साहित्य अकादमी से पुरस्कृत कृति ‘देवोनी घाटी’ के वरिष्ठ कवि – कथाकार एवं संपादक केदार कानन द्वारा मैथिली अनुवाद ‘देवताक घाटी’ का लोकार्पण हरमू स्थित विद्यापति दालान पर हुआ, जिसमें मैथिली के वरिष्ठ साहित्यकारों समेत बहुत से साहित्य प्रेमियों ने हिस्सा लिया।लोकार्पण में उपस्थित डॉक्टर नरेंद्र झा ने कहा कि यह कृति वस्तुतः एक यात्रा वृतांत है, जिसका आधा हिस्सा डायरी और आधा हिस्सा पत्नी को संबोधित पत्र के स्वरूप में है।
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प्रमोद कुमार झा ने कहा कि इस पुस्तक में यात्राओं का रोचक विवरण तो है ही, इसमें भारतीय इतिहास, सभ्यता – संस्कृति का ज्ञानवर्धक और मनोरम चित्रण भी हुआ है।अमरनाथ झा ने कहा कि पाठकों को यह कृति शुरू से ही अंत तक बांधे रखती है और जीवन के नए – नए अनुभवों से साक्षात्कार कराती है।सुष्मिता पाठक ने कहा कि इस पुस्तक में विभिन्न क्षेत्रों का जैसा जीवंत चित्रण हुआ है, वह विरल है।बद्रीनाथ झा ने कहा कि केदार कानन अनुवादक के रूप में साहित्य जगत में लब्ध प्रतिष्ठित हैं और उन्हें साहित्य अकादमी की ओर से सम्मानित भी किया जा चुका है। इसलिए कहने की जरूरत नहीं कि उन्होंने इस कृति का भी शानदार अनुवाद किया है।
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अंग्रेजी के शिक्षक पीएन झा ने कहा कि केदार साहित्य की अन्य विधाओं की तरह अनुवाद कर्म में भी इतने सिद्धहस्त हो चुके हैं कि उनकी इस अनुदित कृति को पढ़कर लगता ही नहीं कि आप मूल मैथिली की पुस्तक नहीं पढ़ रहे हैं।किरण झा और वंदना झा ने कहा कि असल में अनुवाद केवल शब्दों या साहित्य का नहीं होता बल्कि संस्कृतियों का भी रूपांतरण होता है, जिसे केदार ने बखूबी निभाया है।अंत में झारखंड मैथिली मंच के अध्यक्ष अमरनाथ झा ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि उम्मीद की जा सकती है कि यह अनुदित करती मैथिल और गुजराती समाज और संस्कृति के बीच सेतु का काम करेगी।
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