रांची । कांग्रेस की स्थिति अविभाजित बिहार से ही कमजोर होने लगी थी। लोकसभा और विधानसभा चुनावों में उसे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की शर्तों पर उससे समझौता करनी पड़ती थी। झारखंड अलग होने के बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। कांग्रेस अपेक्षाकृत कमजोर होती चली गयी। झारखंड में भी वह अकेले चुनाव लड़ने की स्थिति में नहीं रही।
झारखंड गठन के बाद राज्य में 2005 में हुये पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपने दम पर 41 सीटों पर पर लड़ी थी ओर नौ पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस ने 2009 के विधानसभा चुनाव में झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के साथ समझौता किया था। समझौते के तहत कांग्रेस 61 और झाविमो 25 सीटों पर लड़ी थी। उस चुनाव में कांग्रेस को अबतक की सर्वाधिक 14 सीटें मिली थी,जबकि झाविमो ने 11 सीटों पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस ने 2014 में हुये पिछले विधानसभा चुनाव में झाविमो को छोड़कर राजद के साथ समझौता किया था लेकिन यह समझौता घाटे का साबित हुआ। कांग्रेस 62 सीटों पर लड़कर सिर्फ छह सीट जीत पायी थी। राजद 19 सीटों पर लड़ा था और उसे एक भी सीट नहीं मिली थी।
झारखंड में आसन्न विधानसभा चुनाव कांग्रेस विपक्षी गठबंधन के तहत लड़ेगी। पार्टी सूत्रों के अनुसार कांग्रेस का केन्द्रीय नेतृत्व गठबंधन के पक्ष में है। कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व का मानना है कि लोकसभा चुनाव के वक्त तय फॉर्मूले पर ही गठबंधन का स्वरूप तय होना चाहिये। उस फॉर्मूले के तहत सीटिंग और दूसरे स्थान पर रही सीट संबंधित पार्टी के खाते में जायेगी। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा झामुमो के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत चल रही है। पर करीब आधा दर्जन सीटों पर इनके बीच पेंच फंसा हुआ है। कांग्रेस और झामुमो को इन सीटों का पेंच सुलझाना है। कांग्रेस के सूत्रों ने दावा किया है कि 23 अक्टूबर को पार्टी की प्रमंडल स्तरीय जनाक्रोश रैली खत्म होने के बाद दोनों दलों के नेता कुछ सीटों को लेकर चल रहे विवाद को सुलझा लेंगे। इन सीटों में पाकुड़, मधुपुर, गांडेय, विश्रामपुर, पांकी, सिसई और घाटशिला शामिल है।
दरअसल, कांग्रेस को भरोसा है कि झामुमो के साथ गठबंधन से राज्य में उसकी स्थिति मजबूत होगी। इसलिये वह कुछ विवादित सीटों पर अपना दावा छोड़ सकती है। लोकसभा चुनाव के समय भी उसने ऐसा ही किया था। इसका फायदा भी उसे मिला और एक सीट जीतने में कामयाब रही। 2014 के लोकसभा चुनाव में झारखंड में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने 2019 का लोकसभा चुनाव झामुमो, झाविमो और राजद के साथ गठबंधन में लड़ा था। उस समय यही तय हुआ था कि लोकसभा चुनाव कांग्रेस और विधानसभा का चुनाव झामुमो के नेतृत्व में लड़ा जायेगा। कांग्रेस और राजद झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ने को तैयार है। लेकिन झाविमो विपक्षी गठबंधन में हेमंत सोरेन के नेतृत्व को लेकर सवाल उठा रहा है।
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