रांची। झारखंड में अगले कुछ महीने में विधानसभा चुनाव होना है। सत्ताधारी भाजपा पूरे दमखम से चुनाव की तैयारी में अभी से जुट गई है। रांची से लेकर दिल्ली तक सभी दोबारा भाजपा सरकार बनाने के लिए लगातार बैठकें कर रहे हैं। इन सब के बीच कांग्रेसी खेमे में अभी भी हार की हताशा दिखाई दे रही है। पार्टी नेताओं ने अभी तक विधानसभा चुनाव की तैयारी को लेकर बैठक नहीं की है। कांग्रेस का एक गुट अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार को हटाने में लगा हुआ है। दूसरी ओर पार्टी के बड़े नेता अपने परिवारवालों के टिकट के लिए मैदान तैयार करने में जरूर जुट गये हैं।
शीर्ष नेतृत्व की लाख कोशिशों के बावजूद कांग्रेस परिवारवाद की परछाई से बाहर नहीं निकल पा रही। झारखंड में पुराने और उम्रदराज नेताओं की लंबी फेहरिस्त है, जो सालों से पार्टी के अहम पदों पर कब्जा जमाये हुए हैं। साथ ही टिकट बंटवारे में अपना दबदबा बनाए हुए हैं। ये वे नेता हैं, जिनका अपना हित पार्टी के हित से ऊपर होता है। इससे गठबंधन प्रभावित होता रहा है।
जानकारी के मुताबिक सुबोधकांत सहाय हटिया से भाई सुनील सहाय को टिकट दिलवाना चाहते हैं। सुनील सहाय पहले भी किस्मत आजमा चुके हैं लेकिन कामयाबी नहीं मिली। उधर, प्रदीप बलमुचू बेटी सिंड्रेला बलमुचू को घाटशिला से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ाना चाहते हैं और बेटी को टिकट नहीं मिलने पर खुद लड़ना चाहते हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता ददई दुबे विश्रामपुर विधानसभा सीट से बेटे अजय कुमार दुबे को चुनाव लड़वा चुके हैं लेकिन जितवा नहीं सके। इसबार फिर ददई दुबे और पुत्र अजय दुबे टिकट के दावेदारों में शामिल हैं। योगेन्द्र साव की पत्नी निर्मला देवी को बड़कागांव से विधायक बनवाया, अपनी बेटी अंबा प्रसाद को भी राजनीति में लाए। लेकिन लोकसभा चुनाव में कामयाबी नहीं मिल पाई। अब विधानसभा चुनाव में बेटी के लिए टिकट की जुगत में हैं।
सुखदेव भगत विधायक से सांसद नहीं बन पाए, पत्नी अनुपमा भगत को नगर निकाय चुनावों में टिकट दिलाकर अध्यक्ष बनवाया। बेटे को यूथ कांग्रेस का पदाधिकारी बनवाया। गीताश्री उरांव सिसई से विधायक रही हैं। पति अरूण उरांव भी कांग्रेस के टिकट पर लड़ना चाहते हैं। दोनों के पूर्वज कांग्रेस से जुड़े रहे हैं। फुरकान अंसारी के बेटे इरफान अंसारी जामताड़ा से विधायक हैं। इसके अलावा एक अन्य सीट से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। वहीं धीरज साहू और गोपाल साहू कांग्रेस के सांसद रहे हैं। शिव प्रसाद साहू के भाई धीरज प्रसाद साहू लोकसभा में प्रवेश नहीं कर पाए, तो राज्यसभा पहुंचे गए। अब भाई गोपाल प्रसाद साहू के लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद पार्टी में बने रहने का मोह नहीं छोड़ना चाहते। राजेंद्र प्रसाद सिंह के बेटे अनूप सिंह और कुमार गौरव को बेरमो और बोकारो से विस चुनाव लड़ना चाहते हैं।
झारखंड में ऐसे नेताओं की लंबी लिस्ट है, जो अपने सगे-संबंधियों को टिकट दिलाने के लिए अभी से ही जुगत लगाने लगे हैं। रांची से लेकर दिल्ली तक इसके लिए कोशिशें की जा रही हैं।राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो परिवारवाद के कारण लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा है। इसको लेकर पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ऐतराज भी जता चुके हैं। ऐसे में झारखंड के कांग्रेसियों को भी सबक लेना चाहिए।
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