-योगेश कुमार सोनी-
हैदराबाद महिला डॉक्टर के दरिंदगी करने वाले चारो आरोपियों को मौत के घाट उतारनी टीम के मुखिया साइबराबाद पुलिस कमिश्नर वी. सी. सज्जनार एफ बार सुर्खियों में आ गए। सोशल मीडिया पर छा रहे यह पुलिस अधिकारी इससे पहले भी वाह-वाही लुट चुके। ज्ञात हो कि 2008 में तेलंगाना के वारंगल जब एक कॉलेज गर्ल के ऊपर तेजाब फेंका गया था, उस समय भी काफी विवाद हुआ था। लेकिन कुछ ही समय बाद 3 आरोपियों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया था। हिरासत में रहने के दौरान तीनों आरोपियों पर पुलिस वालों पर हमला कर दिया था लेकिन बाद में पुलिस के साथ एनकाउंटर में आरोपियों को मार गिराया था। इसके अलावा कई माओवादियों के एनकाउंटर टीम का हिस्सा रहे कमिश्नर सज्जनार अपनी कार्यशैली में भी सजग नजर आते हैं। प्रियंका रेड्डी के चारो आरोपियों के एनकाउंटर की खबर जैसे ही आई थी वैसी ही सोशल मीडिया पर इतनी तेजी से वायलर हुई कि जब लोग सुबह उठे तो हर किसी ने सभी सोशल माध्यामों पर यह शेयर कर रखी थी। जिसने भी इस घटना को शेयर किया उसने साथ में कमिश्नर सज्जानर की फोटो भी लगा रखी थी और उनको धन्यवाद दिया। यही नही कि उनके सम्मान में इतने अच्छे शब्दों से भी नवाजा गया उनके प्रति दीवानगी देखते ही बन रही थी। आश्चर्य की बात यह है कि इस घटना को लेकर लोग केवल हैदराबाद पुलिस को ही नही पूरे हिन्दुस्तान की पुलिस को सम्मान के नजरिये से देख रहे हैं। इस मामले से खुश पुरा देश में पुलिस और जनता के बीच प्यार इतना बढ़ गया कि लोगों ने पुलिस स्टेशनों में जा-जाकर पुलिस को मिठाई खिलाई और पुलिस ने भी जनता का मुंह मीठा कराया। इस घटना की सबसे अच्छी बात यह लगी कि जनता का पुलिस के प्रति विश्वास और प्यार बहुत बढ़ा। कभी-कभी ऐसा हो जाता है कि चंद लोगों की वजह से पूरे विभाग को उसका फायदा मिलता है। पुलिस और जनता के बनते-बिगड़ते रिश्तों की तस्वीर को एक नई व सकारात्मक दिशा मिली जिससे देश में खुशहाली का माहौल है।
दरअसल इसकी वजह यह भी है कि हमारे देश में ब्लात्कारियों के लिए अभी तक भी ऐसे कानून नही हैं कि उनको तुरंत कड़ी सजा मिले।दरअसल न्यापालिका में केस आने के बाद इतना लंबा समय बीत जाता है कि लोगों के मन में कुंठा आने लगती है। धीमी कार्यशैली होना भी ब्लात्कारियों के हौसले बढाने का एक कारण माना जाता है। शायद यही वजह है इस घटना के आंकडों में कभी गिरावट नही आती। केंद्र और राज्य सरकारें इसके लिए काम भी करती हैं।हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने कैबिनेट की बैठक में राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध की सुनवाई के लिए 218 फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने की मंजूरी दे दी। इसके लिए सुनवाई 9 दिसंबर से ही प्रारंभ कर दी थी।इसके अलावा बच्चों के अपराध जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए 74 नए कोर्ट खोलने की बात भी कही। एक कोर्ट बनाने का खर्चा करीब सत्तर लाख रुपये आएगा।यदि कोर्ट के लिए बिल्डिंग नहीं होगी तो किराए पर लेकर कोर्ट संचालित होगा। योगी सरकार ने इसमें आने वाले खर्च का भार साठ प्रतिशत केंद्र और चालीस प्रतिशत यूपी सरकार पर रखा है।
वहीं इसके विपरित में कुछ वरिष्ठ अधिवक्ताओं का कहना है कि उत्तर प्रदेश छोडों देश में पहले से ही बहुत सारे कोर्ट हैं। पहले उसके लिए जजों की नियुक्ति तो की जाए। न्यायपालिका की संचालन प्रक्रिया तो तेज जब भी हो सकेगी तब घिनौने अपराध के लिए धाराओं या कानून में बदलाव होगा। बहराहल, रेप की घटनाओं के लिए सरकार व देश को अभी भी काम करने की बहुत जरुरत है चूंकि आपके और हमारे सामने जो घटना आती हैं हम बस उसकी ही निंदा करते हैं। आज भी कुछ पीडिताएं या तो डर की वजह से या फिर इज्जत की वजह से ऐसे मामलों में सामने आने से डरती हैं। हैदराबाद पुलिस ने जो किया वो उससे जनता खुश तो हैं लेकिन कुछ लोग इसको नकारामत्मक नजरिये से भी देख रहे हैं। यदि पुलिस इस तरह ही न्याय करने के चक्कर में लग गई तो पुलिस के हौसलें बढ़ जाएगें और वो हर ऐसी घटनाओं में आरोपियों को मार गिराकर अंजाम दे देगें तो क्या इसे इंसाफ माना जाएगा,शायद नही।
वैसे तो हम कई डेवलेप देशों से उनकी ऐसे चीजें को लेकर तारीफ करते हैं और अपने देश में लागू करते हैं। बिल्डिगें,टेक्नोलॉजी के अलावा कई अन्य चीजों की लंबी फेहरिस्त है,तो फिर रेप जैसी घटनाओं को लेकर उनके जैसे कानून को लागू करना क्यों कठिन है। गल्फ देशों का जिक्र करें तो यहां क्राइम रेट बिल्कुल शून्य है क्योंकि यहां बड़े अपराधों की सजा मौत है। दुबई में रेप तो छोडो सोने-चांदी से भरी दुकानें लोग रात को भी बिना ताले के छोड जाते हैं क्योंकि वहां चोरी जैसे गलती की सजा पर हाथ काट दिए जाते हैं। किसी भी देश की जनता को डर सिर्फ सख्त कानून का होता है जिसकी हमारे देश में बहुत जरुरत है।
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