सिल्ली
वृक्ष लगाएंगे न्यारे-न्यारे, जंगल बनाएंगे प्यारे-प्यारे। कुछ ऐसे ही संकल्प को सिल्ली के बड़ा चांगड़ू, टोला टेडेर के बच्चों ने दोहराया। मौका था । विश्व फारेस्ट डे का। वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन सोसाइटी ऑफ झारखण्ड और वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम के जरिये बच्चों ने ना सिर्फ जंगल, पर्यावरण और वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति जागरूक हुए बल्कि जंगल में घूमकर उसकी उपयोगिता को भी जाना। टेडेर गांव स्थित जंगल में भ्रमण के दौरान विभिन्न तरह की वनस्पतियों, जंगल के किट-पतंगों के बारे में विस्तार से जाना। उन्हें बताया गया कि जंगल किस तरह हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
पेंटिंग प्रतियोगिता का भी आयोजन
इस अवसर पर पेंटिंग प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में कांटे करीब 30 बच्चों ने भाग लिया। यह प्रतियोगिता भी हाथी संरक्षण और जंगल संरक्षण से जुड़ी हुई थी।प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले बच्चों को पुरस्कृत भी किया गया।
हाथी अक्सर आते हैं
बड़ा चांगड़ू तोला टेंडेर के बच्चों और ग्रामीणों ने बताया कि हाथी अक्सर गांव में आते हैं। फसलों और जानमाल का नुकसान होता है। बावजूद इसके ग्रामीणों ने बचे हुए जंगल के संरक्षण के प्रति अपनी योजना बताई। उन्होंने ने कहा कि आने वाले मॉनसून में वे सभी मिलकर पौधा लगाएंगे। संस्था के एनिमल ट्रैकर तापस कर्मकार ने बताया कि वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन सोसाइटी ऑफ झारखण्ड और वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में माहिलांग-कालामाटी हाथी कॉरिडोर में विगत एक वर्ष से कॉरिडोर मॉनिटरिंग का काम हो रहा है। इस क्रम में ग्रामीणों और बच्चों के लिए जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन भी किया जा रहा है। इस कड़ी में आज बच्चों को पर्यावरण, जंगल और वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए कार्यक्रम का आयोजन सामाजिक दूरी को ध्यान में रखकर किया गया।
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