हर धर्म के लोग अपने भगवान को मनाने के लिए पूजा-पाठ करते हैं। तनावपूर्ण और इस व्यस्त जिंदगी में पूजा-पाठ का अपना ही महत्व है। लोग आत्मिक शांति के लिए अपने भगवान को याद करते हैं। वास्तुशास्त्र की मानें तो आपका पूजा घर आपको हर तरह की चिंता और तनाव से दूर रखता है इसलिए वास्तु के अनुसार, पूजा घर बनवाने से पहले कुछ खास बातों का ध्योान रखें। -ईशान यानी की उत्तर-पूर्व जगह पूजा घर के लिए बहुत बढ़िया मानी जाती है। इससे घर में सुख सृमद्धि और शांति…
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विनाश से बचाव का रास्ता है अंतदृष्र्टी
-शिबेंदु लाहिड़ी- क्रिया का अर्थ है कर्म और योग का अर्थ है एकीकरण। क्रिया योग विभाजक चेतना के एकीकरण पर बल देता है। हठ योग, राज योग व लय योग का अनूठा समन्वय है क्रिया योग। भय मनुष्य के मन का एक भ्रम है। आप जिससे डरते हैं, उसका सामना करके ही उससे उत्पन्न होने वाले भय को पराजित कर सकते हैं। अगर आप उससे स्वयं को दूर रखते हैं या उससे कतराते हैं तो आपको भय से मुक्ति नहीं मिलेगी। एक बार एक बुद्धिमान व्यक्ति से पूछा गया- आपका…
Read Moreपूजास्थल पर कभी न करें ये चीजें वर्ना भाग्य छोड़ देगा आपका साथ
मंदिर का स्थान हर घर में अलग होता है। हर व्यक्ति मंदिर को अपने हिसाब से सही जगह देने की कोशिश करता है। लेकिन पूरी जानकारी न होने की वजह से कभी-कभी हम ऐसी गलतियां कर देते हैं जो हमारे भाग्य पर बुरा असर डालती हैं। जानिए क्या हैं वो अशुभ चीजें जो आपके भाग्य के आड़े आ सकती हैं। क्या हैं वो गलतियां जो आपके ऊपर बुरा असर डालती हैं साथ ही अशुभ मानी जाती है- -घर के मंदिर में सभी श्री गणेश की मूर्तियां तो रखते हैं, लेकिन…
Read Moreचित्त को बंधनमुक्त करें
– ओशो मनुष्य के मन पर शब्दों का भार है, और शब्दों का भार ही उसकी मानसिक गुलामी भी है और जब तक शब्दों की दीवार को तोड़ने में कोई समर्थ न हो, तब तक वह सत्य को भी न जान सकेगा, न आनंद को, न आत्मा को। सत्य की खोज में३और सत्य की खोज ही जीवन की खोज है३स्वतंत्रता सबसे पहली शर्त है। जिसका मन गुलाम है, वह और कहीं भला पहंुच जाए, परमात्मा तक पहंुचने की उसकी कोई संभावना नहीं है। जिन्होंने अपने चित्त को सारे बंधनों से…
Read Moreविश्वधर्म के दशलक्षण
-एलाचार्य प्रज्ञसागर मुनि- श्रमण संस्कृति में भगवान महावीर ने कहा कि अपनी आत्मा पर ही क्षमा करो। क्षमा एक महान तत्त्वज्ञान है। दूसरे जीवों पर क्षमा करना सामान्य व्यावहारिक रूप है, पर सर्वोत्कृष्ट क्षमा तो अपनी आत्मा ही पर है। अपनी आत्मा की आराधना करने के लिए दशलक्षण पर्व भाद्रपद मास में मनाया जाता है। वर्ष में जितने पर्व हैं, उनमें दशलक्षण पर्वरात है। इसमें 10 दिन तक हम एक-एक धर्म की आराधना करते हैं। ये दश धर्म सभी आत्माओं में विद्यमान है। यह पर्व उन्हें प्रकट करने में सहायक…
Read Moreभक्ति से मुक्ति प्राप्त होती है
एक बार राम और लक्ष्मण नाव पर सवार होकर गंगा नदी पार कर रहे थे। जब वे नदी के पार उतर गए, तब नाविक ने देखा उसकी नाव तो सोने में परिणित हो गयी है। नाविक ने यह चमत्कार की गाथा अपनी पत्नी को बतायी। पत्नी घर के सारे सामान, जो लकड़ी से बने थे उनको लेकर गंगा के किनारे जा पहुंची और राम के चरणों के जादुई स्पर्श से उन सभी सामानों को सोने में परिवर्तित कर लिया। तत्पश्चात नाविक ने अपनी पत्नी से कहा इन चरणों को ही…
Read Moreधर्म के मार्ग पर चाहिए धैर्य
-ओशो- परमात्मा की उपलब्धि के लिए धैर्य बहुत जरूरी है। प्रभु को पाना चाहते हैं तो प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। हो सकता है कई जन्मों की प्रतीक्षा करनी पड़े। अगर आपने धैर्य खोया तो फिर सारा खेल खत्म। प्रभु को पाने की चाह में आपको समय की सीमा से परे हो जाना होगा। और जब आप समय की सीमा को भूल जाते हैं, परमात्मा का साक्षात्कार उसी समय हो जाता है। व्यक्ति धर्म के मार्ग पर गया है, उसने अनंत की फसल काटनी चाही है। उतना ही धैर्य भी चाहिए। धैर्य…
Read Moreमनुष्यता पाने के लिए स्वाध्याय जरूरी है
ज्ञान ही प्रगति की आधारशिला है। अज्ञानी व्यक्ति की सारी शक्तियां उसके भीतर निरुपयोगी बनी बन्द रहती है और शीघ्र ही कुंठित हो नष्ट हो जाती हैं। जिन शक्तियों के बल पर मनुष्य संसार में एक से एक ऊंचा कार्य कर सकता है, मोक्ष जैसा परम पद प्राप्त कर सकता है, उनका इस तरह नष्ट हो जाना मानव जीवन की सबसे बड़ी क्षति है। इस क्षति का दुर्भाग्य केवल इसलिए सहन करना पड़ती है, क्योंकि वह ज्ञानर्जन में प्रमाद करता है। मानव जीवन को सार्थक बनाने, उसका पूरा-पूरा लाभ उठाने…
Read Moreऋषि पंचमी पर सप्तर्षि पूजन कर पुण्य कमाएं
भाद्रपद शुक्ल पंचमी को सप्त ऋषि पूजन−व्रत किया जाता है। ब्रह्म पुराण में उल्लेख है कि इस दिन स्त्रियों को प्रातः स्नान के पश्चात घर में पृथ्वी को शुद्ध करना चाहिए और वहां हल्दी से चैकोर मण्डल बनाना चाहिए। इस मण्डल पर सप्त ऋषियों की स्थापना कर विधि विधान से उनका पूजन करें। इस दिन व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। पुराण में बताया गया है कि सात वर्षों तक हर बार इसी प्रकार पूजन करने के बाद आठवें वर्ष ऋषियों की सोने की सात मूर्तियां बनवाकर ब्राह्मण…
Read Moreसतगुरु की महिमा अनन्त
समुद्र में एक प्रकार की सीपी होता है, जो स्वाति नक्षत्र की वर्षा की एक बूंद के लिए सदा मुंह बाए पानी पर तैरती रहती है, किन्तु स्वाति की वर्षा का एक बिन्दु जल मुंह में पड़ते ही वह मुंह बन्द कर सीधे समुद्र की गहरी सतह में डूब जाती है तथा वहां उस जल-बिन्दु से मोती तैयार करती है। इसी तरह यथार्थ मुमुक्षु साधक भी सद्गुरु की खोज में व्याकुल होकर इधर-उधर भटकता रहता है, परन्तु एक बार सद्गुरु के निकट मंत्र पा जाने के बाद वह साधना के…
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