-निर्मल रानी- नागरिकता संशोधन विधेयक आख़िरकार लोकसभा के बाद राज्य सभा में भी पारित हो गया। इस विधेयक के समर्थन तथा विरोध में संसद के दोनों सदनों में ज़ोरदार बहस हुई। राज्यसभा में इस विधेयक के पक्ष में 125 मत पड़े, जबकि इसके विरोध में 105 सदस्यों ने मतदान किया। स्वतंत्रता के बाद यह पहला अवसर है जबकि धर्म के आधार पर भारत की नागरिकता दिए जाने संबंधी कोई धर्म आधारित विधेयक देश की संसद ने पारित किया है। जहाँ सरकार इसे वक़्त की ज़रुरत बता रही है तथा यह…
Read MoreCategory: अपनी बात
कैब पारित होने पर आईपीएस अब्दुर रहमान का इस्तीफा, व्यवस्था पर ही उठाए सवाल
-मुरली मनोहर श्रीवास्तव- राज्यसभा में नागरिकता संसोधन विधेयक पारित होने के बाद वृहस्पतिवार को इस विधेयक के लिए पड़े 230 वोटों में जहां समर्थन में 125 मत पड़े वहीं इसके खिलाफ 105 मत पड़े, लिहाजा ये विधेयक पूरी तरह से पारित हो गया। जैसे ही इसकी सूचना आईपीएस अधिकारी अब्दुर रहमान को मिली वो अपने पद से इस्तीफा देते हुए ट्वीट कर अपने इस्तीफे का इजहार कर दिया। देश में पहले से ही राजनीति से प्रेरित होकर ब्यूरोक्रेट्स के इस्तीफे का सिलसिला जारी है। देश या सूबे में किसी न…
Read Moreगृहमंत्री पर अमरीकी पाबंदी
नागरिकता संशोधन बिल को लेकर एक अमरीकी आयोग ने बड़ी तीखी और अनावश्यक टिप्पणी की है। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के अमरीकी आयोग ने अपनी सरकार से आग्रह किया है कि यदि नागरिकता बिल भारतीय संसद के दोनों सदनों में पारित हो जाता है, तो भारत सरकार के गृहमंत्री अमित शाह और अन्य प्रमुख नेतृत्व पर प्रतिबंध लगा दिया जाए। अमरीका की हैसियत और भारत के गृहमंत्री पर प्रतिबंध! आश्चर्य ही नहीं, अनावश्यक भी है। यह आयोग अमरीका की संघीय सरकार ने 28 अक्तूबर, 1998 को गठित किया था। आयोग में…
Read Moreव्यंग्य: टीयर गर्ल्स
-सुदर्शन सोनी- क्रिकेट का खेल ही एैसा है इस देश के लिये कि इसके साथ ग्लैमर वर्ल्ड भी अपने आप ही चला आता है। कुछ समय पहले क्रिकेट प्रतियोगिताओं की लगातार बढ़ती संख्या व फिक्सिंग के कारण लोगों की इसमें रूचि कुछ कम वैसे ही हो चली थी जैसे कि आम चुनावों में वोट देने के मामले में हो रही थी। इसका नतीजा यह हुआ कि क्रिकेट के नाम पर आम जनता की जेब से हजारों लाखों खाली करवा कर करोडो़ अरबों छापने वालों ने एक नया कान्सेप्ट चीयर गर्ल्स…
Read Moreयह अग्निकांड नहीं, हत्या है
आश्चर्य है कि देश की राजधानी दिल्ली के पुराने शहर बारूद और मौत के ढेर पर हैं। दिल्ली के अधिकतर पुराने शहरों की तंग गलियों में अवैध कारोबार कुकुरमुत्ते की तरह फैले हैं। कभी चांदनी चौक के कपड़ा बाजार में आग लगती है, तो कई दुकानें राख हो जाती हैं। कभी सदर बाजार की झुग्गी-झोंपडि़यां जलती हैं, तो फिर अनहोनियां होती हैं। देश की राजधानी आज भी 1997 के ‘उपहार’ सिनेमा अग्निकांड को नहीं भूली है, जिसमें 59 मासूम दर्शक फिल्म देखते-देखते जल गए और खाक हो गए थे। दिल्ली…
Read Moreदया याचिका सिस्टम खत्म हो
-कंचन शर्मा- हैदराबाद गैंगरेप व हत्या की विभत्स घटना से देश भर में उपजा आक्रोश चारों अपराधियों की एनकाउंटर में हुई मौत से आमजन में अन्याय से निपटने की उम्मीद जागी है। पुलिस की भाषा में कहूं तो यह एनकाउंटर रेपिस्टों का नहीं बल्कि कस्टडी में उन अपराधियों का था जिन्होंने भागने की कोशिश की और पुलिस के हथियार छीनकर उन पर जानलेवा हमला किया। जाहिर है कि ये जो भी घटित हुआ उसके लिए हालात ही ऐसे बन गए होंगे या मानवाधिकार की दुहाई देने वालों के अनुसार ऐसे…
Read Moreमंदी को तोड़ने के उपाय
-भरत झुनझुनवाला- सरकार के सभी प्रयासों के बावजूद अर्थव्यवस्था की विकास दर लगातार गिरती ही जा रही है। विकास दर गिरने का मूल कारण यह है कि बाजार में मांग नहीं है। यदि बाजार में मांग होती है तो उद्यमी येन केन प्रकारेण पूंजी एकत्रित कर फैक्टरी लगाकर माल बना कर उसे बेच ही लेता है। बाजार में मांग होती है तो उसे उत्पादित माल के दाम ऊंचे मिलते हैं और वह लाभ कमाता है। बाजार में मांग नहीं हो तो माल बना कर गोदाम में रखना पड़ता है जहां…
Read Moreमानवाधिकारों का सिकुड़ता दायरा
-जावेद अनीस- वर्तमान समय में देश में जिस तरह का माहौल है उसे देखते हुये मानवाधिकार की चर्चा बहुत जरूरी हो जाती है. वर्तमान में भारत एक ऐसे दौर से गुजर रहा है जब यहां “जन” और “तंत्र” दोनों के द्वारा ही मानव अधिकारों की उपेक्षा और अवहेलना बढ़ी है. आज मानव अधिकारवादियों का मजाक उड़ाना और उन्हें ही देश के लिये खतरे के रूप में देखने का चलन तेजी से बढ़ा है. महिलाओं के साथ क्रूरतम हिंसा, आश्रय ग्रहों में बच्चियों के साथ वीभत्सता, दलितों पर अत्याचार, मॉब लिंचिंग…
Read Moreउद्धव के समक्ष वैचारिक चुनौतियों का पहाड़
-सुरेश हिंदुस्थानी- महाराष्ट्र में लम्बी कवायद के बाद आखिरकार शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार का गठन हो चुका है। इस सरकार को राजनीति के ऐसे दो ध्रुवों का जबरदस्ती मिलन कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। क्योंकि जहां शिवसेना खुलकर हिन्दुत्व के मुद्दे पर मुखर होकर राजनीति करती रही है, वहीं कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी विशुद्ध धर्मनिरपेक्षता का आवरण ओढ़कर राजनीति करने को ही अपनी प्राथमिकता मानती रही है। ऐसे में यह कहना तर्कसंगत ही होगा कि यह सरकार एक-दूसरे से भिन्न सिद्धांतों को अपनाने…
Read Moreदुष्कर्मियों को ऐसी सजा मिले कि नजीर बन जाए
-डॉ. वंदना सेन- भारतीय संस्कृति में सनातन काल से नारी को सबला का दर्जा दिया जाता रहा है। वह सबला है भी, लेकिन वर्तमान में भारतीय समाज के कुछ व्यभिचारी लोगों ने इस परिभाषा को पूरी तरह से बदलने का मन बना लिया है। उसे अबला बनाने पर तुले हुए हैं। ऐसे लोग निश्चित ही भारतीय संस्कृति को मिटाने का कार्य करते हैं। अभी हैदराबाद में एक प्रतिभावान चिकित्सक युवती के साथ समाज के बीच रहने वाले दरिन्दों ने जो कृत्य किया है, वह निंदनीय तो है ही, शर्मसार कर…
Read More