नागरिकता कानून (सीएए) का विरोध सिर्फ जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि राष्ट्रव्यापी बनता जा रहा है। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज मुंबई, आईआईटी मुंबई, आईआईएम बंगलुरू और अहमदाबाद, आईआईटी मद्रास, मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी हैदराबाद, कोलकाता की जादवपुर यूनिवर्सिटी, लखनऊ के दारुल उलूम नदवातुल कालेज, वाराणसी की बीएचयू, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, मऊ की हिंसा से लेकर केरल में मुख्यमंत्री विजयन और प्रतिपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला के सत्याग्रह तक एक ही भाव साझा है कि सीएए असंवैधानिक है, लिहाजा इसे वापस लिया जाए। इन शिक्षण संस्थानों में…
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नागरिकता संशोधन कानून का अनावश्यक विरोध क्यों?
-प्रो. प्रेम कुमार धूमल- कुछ दिनों से नागरिकता कानून में किए गए संशोधन के बाद लगातार यह मुद्दा केवल बहस का मुद्दा न रह कर बहुत विवादित मुद्दा बन गया है। देश का राजनीतिक वायुमंडल दुर्भाग्यवश इतना प्रदूषित हो गया है कि राष्ट्रहित में उठाए गए कदमों को भी दलगत और व्यक्तिगत दृष्टिकोण से देखकर राजनीतिक लाभ के लिए प्रयोग करने का प्रयास रहता है। नए संशोधन के बाद एक प्रावधान किया गया है कि हमारे पड़ोस में जो तीन मुस्लिम राष्ट्र हैं वहां पर हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध…
Read Moreआर्थिक सुस्ती पर बहस जरूरी
-डा. वरिंदर भाटिया- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 27 नवंबर को देश की संवेदनशील आर्थिक स्थिति पर राज्यसभा में कहा है कि देश की आर्थिक विकास दर में गिरावट तो है, लेकिन यह मंदी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘अगर आप अर्थव्यवस्था को सही ढंग से देख रहे हैं तो आप देखेंगे कि विकास दर में कमी आई है, लेकिन अभी तक मंदी का माहौल नहीं है और मंदी कभी नहीं आएगी।’ दूसरी ओर आर्थिक विशेषज्ञों की मानें तो देश के आर्थिक हालात कुछ और ही तस्वीर बयां कर रहे हैं।…
Read Moreजनाक्रोश के मध्य राजनेताओं के विवादित बोल
-निर्मल रानी- भारतीय संसद में पिछले दिनों जब से नागरिकता संशोधन विधेयक पेश किया गया और उसके बाद इस विधेयक को संसद के दोनों सदनों में पारित करवाकर इसे क़ानून का रूप दिया गया है तब ही से इस विधेयक व अब क़ानून का विरोध राष्ट्रीय स्तर पर बड़े पैमाने पर हो रहा है। इसी से जुड़े राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को लेकर भी असम, पश्चिमी बंगाल व पूर्वोत्तर के कई राज्यों में काफ़ी विरोध प्रदर्शन हुए और अब भी हो रहे हैं। राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर व नागरिकता संशोधन क़ानून का…
Read Moreसरयू को नजरअंदाज कर क्या भाजपा बहुमत से दूर रहेगी?
-मुरली मनोहर श्रीवास्तव- सरयू राय के इस्तीफे से झारखंड की राजनीति में नया मोड़ आ गया है। सबसे बड़ी बात ये है कि आखिर तीन चरण चुनाव हो जाने के बाद ही क्यों इन्होंने इस्तीफा दिया। क्या इसलिए की पार्टी उनके साथ कौन सा रवैया अपनाती है या फिर आम आवाम के नाम पर हक दिलाने के लिए राजनीतिक शहीद होकर झारखंड की राजनीति में खुद को स्थापित करने की ललक बनी हुई थी। अगर उन्होंने ऐसा सोचा होगा तो उनके सोचे पर भाजपा केंद्रीय कमेटी ने पानी फेर दिया…
Read Moreशिक्षा के मन्दिरों को कलंकित करते दरिन्दे
-रमेश सर्राफ धमोरा- राजस्थान में झुंझुनू जिले के सैनिक स्कूल के एक शिक्षक ने स्कूल में पढ़ने वाले 12 नाबालिग बच्चों का यौन शोषण कर एक शर्मनाक काम किया है। कड़े सैनिक अनुशासन व चरित्र निर्माण की शिक्षा के लिए विख्यात सैनिक स्कूल पर इस घटना ने एक बदनुमा दाग लगा दिया है। इस घटना से देश के अंदर चल रहे सभी 28 सैनिक स्कूलों की छवि खराब हुई है। हालांकि दोषी शिक्षक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन सैनिक स्कूल में इस तरह की घटना का होना…
Read Moreकैब और एनआरसी की उलझनें
-सौमित्र रॉय- नागरिकता संशोधन बिल (कैब) के राज्यसभा से पास होने के बाद जब असम और पूर्वोत्तर के राज्यों में विरोध की आग सुलग उठी तो गृह मंत्री अमित शाह ने मीडिया के सामने एक बड़ा बयान दिया। शाह ने कहा कि इस कानून को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है, जो सही नहीं है। लेकिन इसके बाद उन्होंने जो कहा, वह बेहद गंभीर और विचारणीय है। शाह ने साफ किया कि नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी अलग हैं। सरकार का मकसद घुसपैठियों को देश से बाहर करना है। कैब…
Read Moreमहात्मा गांधी और कश्मीर
-डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री- संसद द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिए जाने के कारण जम्मू-कश्मीर, विशेष कर कश्मीर संभाग को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। इस पूरी बहस में कश्मीर को लेकर महात्मा गांधी का क्या मत था, यह जान लेना रुचिकर होगा। वैसे तो जिस समय अक्तूबर 1949 में उस समय की संविधान सभा में जब अनुच्छेद 370 को लेकर बहस हो रही थी, तब महात्मा गांधी यह संसार छोड़ कर जा चुके थे, लेकिन अनुच्छेद 370 का जन्म अक्तूबर 1949 में हुआ था, यह तो ठीक…
Read Moreएक बार फिर हीरो बने कमिश्नर वीसी सज्जनार
-योगेश कुमार सोनी- हैदराबाद महिला डॉक्टर के दरिंदगी करने वाले चारो आरोपियों को मौत के घाट उतारनी टीम के मुखिया साइबराबाद पुलिस कमिश्नर वी. सी. सज्जनार एफ बार सुर्खियों में आ गए। सोशल मीडिया पर छा रहे यह पुलिस अधिकारी इससे पहले भी वाह-वाही लुट चुके। ज्ञात हो कि 2008 में तेलंगाना के वारंगल जब एक कॉलेज गर्ल के ऊपर तेजाब फेंका गया था, उस समय भी काफी विवाद हुआ था। लेकिन कुछ ही समय बाद 3 आरोपियों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया था। हिरासत में रहने के…
Read Moreव्यवस्था की असफलता का जश्न
-पीके खुराना- यह सिलसिला कहीं रुकता नहीं नजर आ रहा। निर्भया मामले ने देश भर को हिला दिया था, लोग सड़कों पर उतर आए थे, लेकिन मामला अभी तक सर्वोच्च न्यायालय में लटक रहा है। सात साल हो गए, तब से निर्भया का परिवार या गुजारिशें कर रहा है या न्यायालयों के चक्कर काट रहा है। ऐसे और भी कई मामले हैं। अपनी अस्मत गंवाने के बाद पीडि़ता या घर की बच्ची ही गंवा देने के बाद पीडि़त परिवार न्याय की बाट जोहते रह जाते हैं और समय बीतता चलता…
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