-जावेद अनीस- मध्यप्रदेश में 15 साल बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुयी है। अब शिवराज की जगह कमलनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। भाजपा के लम्बे कार्यकाल के दौरान शिवराज सिंह चौहान यहां सत्ता का पर्याय बन चुके थे। ऐसे में कांग्रेस की नयी सरकार के सामने चुनौती सत्ता के चाल-चेहरे को बदलते हुये अपने आप को साबित करने की थी। मुख्यमंत्री के तौर पर कमलनाथ की पहले दिन से यही कोशिश भी रही है। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद उन्होंने ताबड़तोड़ फैसले लेकर एक बड़ी लकीर खीचने…
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चुनावी लोकतंत्र : बस, पांच कदम चलना होगा..
-अरुण तिवारी- पार्टिंयां चुनावों की तैयारी करती हैं। पार्टियां ही उम्मीदवार तय करती हैं। पांच साल वे क्या करेंगी; इसका घोषणापत्र भी पार्टियां ही बनाती हैं। चुनाव किन मुद्दों पर लड़ा जायेगा; मीडिया के साथ मिलकर ये भी पार्टियां ही तय कर रही हैं। मतदान की मशीन पर चुनने के लिए छपे हुए निशान भी पार्टियों के ही होते हैं। मतदाता भी अपना मत, उम्मीदवार से ज्यादा, पार्टियों को ध्यान में रखकर ही देता है। यह लोकसभा के लिए लोक-प्रतिनिधि चुनने का चुनाव है कि पार्टिंयां चुनने का? लोगों को…
Read Moreलोकतंत्र में सुविधा की सियासत
–प्रभुनाथ शुक्ल- राजनीति का यह दौर वैचारिक और सैद्धांतिक रुप से संक्रमण का है। राजनीति हर पल एक नयी परिभाषा गढ़ती दिखती है। वैचारिकता की जमीन सैद्धांतिक रुप से बंजर हो चली है। विचारों का कोई चरित्र है न चेहरा। सियासत में चहुंओर सिर्फ सत्ता के लिए संघर्ष है। राजनीतिक दलों में विचाराधारा सिद्धांत नहीं बन पा रही। राजनीति की बदलती परिभाषा में यह कहना मुश्किल है कि विचारों का सिद्धांत होता है या फिर अपनी सुविधा के अनुसार विचार और सिद्धांत गढ़े-मिटाये जाते हैं। सत्ता हो या प्रतिपक्ष उसके…
Read Moreप्रदूषण के कहर से अछूता नहीं एवरेस्ट
-योगेश कुमार गोयल- माउंट एवरेस्ट को फतह करना पर्वतारोहियों के लिए रहस्य और रोमांच से भरपूर होता है, क्योंकि विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना आज भी दुनिया का सबसे बड़ा कारनामा माना जाता है। बावजूद इसके हकीकत यही है कि इस उद्देश्य में चंद पर्वतारोहियों को ही सफलता नसीब होती है। प्रतिवर्ष हजारों लोग माउंट एवरेस्ट को छूने की कोशिश करते हैं। उनमें से गिने-चुने लोग ही चोटी तक पहुंचने में सफल हो पाते हैं। कुछ लोग तो एवरेस्ट फतह करने की चाहत में अपनी जान…
Read Moreठग बंधन की सियासी यात्रा: रामविलास जांगिड़
सच्चे लोकतंत्र की खातिर मैंने स्वयं को पार्टी का अध्यक्ष घोषित कर दिया और देश की राजनीति में हूंकार भर दी कि लोकतंत्र इस समय भरपूर खतरे में है। इस लोकतंत्र के खतरे में पड़ने संबंधी आवाजें, चिंघाड़े, और बवंडर कई पार्टियों से आने लगे जिनके अध्यक्ष नामित किए हुए थे । सब पार्टीबाजों ने निर्णय किया कि मौका है और इस समय गठबंधन कर लिया जाए ताकि लोग समझ सकें कि असली गठबंधन तो सिर्फ हमारा है। लिहाजा हम सब पार्टियों ने जिनके नाम एबीसीडी या कखगघ या फिर…
Read Moreचीन, कश्मीर पर नेहरु की मूर्खतापूर्ण चूक से त्रस्त भारत
आर.के.सिन्हाजैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को ‘वैश्विक आतंकी’ घोषित होने से बचाने के लिए चीन ने उस वीटो का इस्तेमाल किया जो उसे भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की जबर्दस्त पैरवी की बदौलत प्राप्त हुआ था। कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने अपनी पुस्तक ‘ नेहरु-दि इनवेंशन आफ इंडिया’ में लिखा है कि ‘नेहरु ने (1950 के दशक में) अमेरिका के भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ का स्थायी सदस्य बनवाने की पेशकश को ठुकरा दिया था। तब नेहरुजी ने कहा कि भारत की जगह चीन को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा…
Read Moreआतंक की परिभाषा बदलने वाले बेनकाब
रमेश ठाकुर मनगढ़ंत कहानी हो या फरेब की सियासत, कुछ समय के लिए अपना असर तो जरूर छोड़ती है। लेकिन मियाद खत्म होने के बाद औंधे मुंह धराशाई होते वक्त भी नहीं लगता। तत्काल नहीं, लेकिन झूठ पर सत्य की विजय जरूर होती है। कुछ ऐसा ही समझौता रेल ब्लास्ट की घटना में भी हुआ। करीब 12 वर्ष की लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार ‘भगवा आतंक’ के नाम से देश में फैलाया गया ‘जहर’ उस वक्त फीका पड़ गया, जब घटना में साजिशन संलिप्त किए गए सभी आरोपी बेकसूर साबित…
Read Moreपाकिस्तान में धर्मांतरण का गंदा खेल
डॉ. नीलम महेंद्र दिन की शुरुआत अखबार में छपी खबरों से करना आज लगभग हर व्यक्ति की दिनचर्या का हिस्सा है। लेकिन कुछ खबरें सोचने के लिए मजबूर कर जाती हैं कि क्या आज के इस तथाकथित सभ्य समाज में भी मनुष्य इतना बेबस हो सकता है? क्या हमने कभी खबर के पार जाकर यह सोचने की कोशिश की है कि क्या बीती होगी उस बच्ची पर जो हर रोज बेफिक्र होकर अपने घर के आंगन में खेलती थी लेकिन एक दिन उसका अपना ही आंगन उसके लिए महफूज नहीं…
Read Moreमुस्लिम मतों के प्रति पूर्वाग्रह
कृष्णप्रभाकर उपाध्याय आसन्न लोकसभा चुनावों में मतदान के लिए देश के बहुसंख्यकों और राजनीतिक दलों के नेताओं के मन में मुस्लिम समुदाय के विषय में कुछ ‘स्थाई धारणाएं’ हैं। जैसे, वे भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के पक्ष में मतदान नहीं करेंगे। भले ही पार्टी प्रत्याशी मुसलमान ही क्यों न हो। वे उस प्रत्याशी के पक्ष में सामूहिक मतदान करेंगे जो भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को चुनावों में हरा पाने में सक्षम लगेगा। वे उस दल के पक्ष में मतदान करेंगे जो उन्हें हिन्दुओं से अधिक सुविधाएं प्रदान कराने…
Read Moreगोवा में प्रमोद सावंत की चुनौतियां
योगेश कुमार गोयल गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के निधन के चंद घंटों बाद रातोंरात पार्टी के युवा नेता और तत्कालीन विधानसभाध्यक्ष प्रमोद सावंत को मुख्यमंत्री बनाकर और उसके बाद विधानसभा में बहुमत साबित कर भाजपा ने नेतृत्व को लेकर मंडराता संकट तो फिलहाल बखूबी सुलझा लिया है। लेकिन इससे पार्टी की चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं। 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा में पर्रिकर के निधन के बाद 36 विधायक बचे हैं। अक्टूबर 2018 में कांग्रेस के दो विधायकों ने इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया था, जबकि पूर्व उपमुख्यमंत्री…
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