(बाल कथा) मूर्ख भेड़िया और समझदार पिल्ला

-विष्णु शर्मा (पंचतंत्र)- एक बार की बात है कि एक कुत्ते का पिल्ला अपने मालिक के घर के बाहर धूप में सोया पड़ा था। मालिक का घर जंगल के किनारे पर था। अतः वहां भेड़िया, गीदड़ और लकड़बग्घे जैसे चालाक जानवर आते रहते थे। यह बात उस नन्हे पिल्ले को मालूम नहीं थी। उसका मालिक कुछ दिन पहले ही उसे वहां लाया था। अभी उसकी आयु भी सिर्फ दो महीने थी। अचानक एक लोमड़ वहां आ निकला, उसने आराम से सोते पिल्ले को दबोच लिया। पिल्ला इस अकस्मात आक्रमण से…

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एकाग्रता और लगन

-रेनू सैनी- एक व्यक्ति प्रसिद्घ सूफी संत शेख सादी के पास पहुंचा और बोला, मेहरबानी करके आप मुझे तालीम दें। इससे पूर्व मैं कई उस्तादों के पास गया, उनकी सोहबत में रहा, लेकिन मेरा दुर्भाग्य समझिए कि मैं अब तक कुछ सीख नहीं पाया। वे मुझे शिक्षा नहीं दे पाए। आगंतुक की बात सुनकर शेख सादी मुस्कुराए और बोले, तालीम तो मैं तुम्हें दे दूंगा लेकिन इसके लिए तुम्हें मेरी हर बात माननी होगी। शिक्षा की इच्छा लिए उस व्यक्ति ने हां कर दी। शेख सादी उसे शिक्षा प्रदान करने…

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बाल साहित्य : काचू की टोपी

-गोविंद शर्मा- हर साल सर्दी आती है। सर्दी आते ही पहाड़ों पर ठंड बढ जाती है। काचू इस ठंड से उतना परेशान नहीं होता, जितना सर्दी की वजह से काम-धंधों के बंद होने से। वह मेहनत-मजदूरी करके गुजारा करने वाला इन्सान है। इसलिए हर साल सर्दी के मौसम में पहाड़ पर स्थित अपना गांव छोड़कर मैदान में आ जाता। वह मजदूरी कर अपना घर चलाने के लिए कमाई करता। वैसे पहाड़ की एक जैसी ठंड के बजाय मैदान की कभी गर्मी, कभी सर्दी, कभी तीखी हवाएं उसे ज्यादा परेशान करती…

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प्रेरक प्रसंग: चिंता नहीं चिंतन कीजिए चिंता गायब हो जाएगी

भारतवर्ष में सम्राट समुद्रगुप्त प्रतापी सम्राट हुए थे। लेकिन चिंताओं से वे भी नहीं बच सके। और चिंताओं के कारण परेशान से रहने लगे। चिंताओं का चिंतन करने के लिए एक दिन वन की ओर निकल पड़े। वह रथ पर थे, तभी उन्हें एक बांसुरी की आवाज सुनाई दी। वह मीठी आवाज सुनकर उन्होनें सारथी से रथ धीमा करने को कहा और बांसुरी के स्वर के पीछे जाने का इशारा किया। कुछ दूर जाने पर समुद्रगुप्त ने देखा कि झरने और उनके पास मौजूद वृक्षों की आढ़ से एक व्यक्ति…

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टीवी, कंप्यूटर से चिपकर निकट दृष्टि दोष का शिकार हो रहे बच्चे

मां-बाप कृपया ध्यान दें। यह बहुत जरूरी है कि आपके बच्चे सारा दिन घर-घुसरू बनकर टीवी, कंप्यूटर या फिर मोबाइल से न चिपके रहें बल्कि कम से कम एक या दो घंटे बाहर जाकर जरूर खेलें। अगर बच्चे ऐसा नहीं करते तो आने वाले समय में वे मायोपिया यानी निकट दृष्टि दोष का शिकार हो सकते हैं। और क्या आप जानते हैं कि आउटडोर रोशनी ही इस समस्या का एकमात्र कुदरती और आसान हल है। हाल ही में हुई एक रिसर्च के मुताबिक दुनिया की आधी से ज्यादा जनसंख्या 2050…

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गलत मार्ग का परिणाम

-विष्णु शर्मा- किसी ग्राम में किसान दम्पती रहा करते थे। किसान तो वृद्ध था पर उसकी पत्नी युवती थी। अपने पति से संतुष्ट न रहने के कारण किसान की पत्नी सदा पर-पुरुष की टोह में रहती थी, इस कारण एक क्षण भी घर में नहीं ठहरती थी। एक दिन किसी ठग ने उसको घर से निकलते हुए देख लिया। उसने उसका पीछा किया और जब देखा कि वह एकान्त में पहुंच गई तो उसके सम्मुख जाकर उसने कहा, देखो, मेरी पत्नी का देहान्त हो चुका है। मैं तुम पर अनुरक्त…

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मदद करने से मिलती है खुशी

यह तब की बात है जब मैं 13 साल का था और कक्षा 9 में पढ़ता था। अब मैं 14 साल का हो गया हूं। मेरे पिता जी कहते हैं कि लोगों की मदद करने से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। अगर तुम किसी की मदद करना चाहते हो तो तुम्हारे अंदर अपने आप हिम्मत आ जाएगी और एक अलग तरह की खुशी का भी अनुभव होगा। एक बार हम सपरिवार घर के बाहर गये थे। हम लोग जी.टी. रोड के किनारे पैदल ही चल रहे थे। मैं पापा से…

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जानें आखिर क्यों इतना रोता है आपका बच्चा और उसे संभालने के उपाय

सभी शिशु रोते है, यह बिलकुल सामान्य बात है। अधिकांश शिशु प्रत्येक दिन कुल एक घंटे से लेकर तीन घंटे तक के समय के लिए रोते हैं। आपका नन्हा सा शिशु अपने आप खुद कुछ नहीं कर सकता है और वह आप पर अपनी हर जरुरत के लिए निर्भर करता है-चाहे वह भूखा है, आराम चाहता है या फिर प्यार और दुलार। आपका शिशु रो कर ही आपको यह बता सकता है की उसे किसी चीज की जरुरत है। आपके लिए कई बार यह पता चलाना मुश्किल हो जाता है…

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बच्चों को स्मार्टफोन से कैसे रखें हमेशा दूर

स्मार्टफोन ज्ञान बढ़ाने, जानकारियां जुटाने, गेम खेलने के अलावा कई कारणों से बेहद उपयोगी है। आजकल छोटे बच्चे भी स्मार्टफोन बेहतर तरीके से चलाते और जानकारी रखते हैं। माता-पिता भी तकनीक से बच्चों को जोड़ने की मंशा से छोटी उम्र में ही स्मार्टफोन या टेबलेट खेलने के लिए देते हैं, जो उनके लिए लत बन सकती है। क्या आप जानते हैं कि बच्चों को स्मार्टफोन या टेबलेट का इस्तेमाल क्यों नहीं करने देना चाहिए……. जब बच्चा छोटा होता है तो उसका दिमाग तेज और इंद्रियां अधिक संवेदनशील होती हैं। इस…

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बच्चों में कमजोर नजर होने के 10 लक्षण…

कुछ साल पहले टेलीविजन मनोरंजन का एक मात्र जरिया था। लेकिन समय के साथ-साथ मनोरंजन के विकल्प बढते गए। पहले बच्चे अपना अधिकतम समय कहानी सुन कर या खेल खुल कूद में बिताया करते है। परंतु आज वे टीवी देखते हुए अन्य कंप्यूटर खेल को खेल कर बिताना पसंद करते हैं। वे अपने शरीर को बिल्कुल भी हिलाना पसंद नहीं करते। कभी-कभी वे दवा के डर से समस्या को बताते ही नहीं है। परंतु माता-पिता होने के नाते उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखना हमारी जिम्मेदारी है। इसलिए साल में एक…

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