घर में पैसे की कमी का कारण कहीं वास्तु तो नहीं

जिस तरह सुख-सुविधा बढ़ाने वाली वस्तुओं में बढ़ोतरी हो रही है, उसी तरह लोगों की इच्छाएं बढ़ती जा रही है। हर व्यक्ति इन सभी सुविधाओं को हासिल करने के लिए दिन-रात मेहनत करता है, परन्तु सफल हर कोई नही हो पाता। कई लोग काफी धन कमाते हैं, लेकिन बचत नहीं कर पाते। उसी तरह कुछ लोग बहुत मेहनत करने के बाद भी पर्याप्त धन नहीं जुटा पाते। इसकी बहुत-सी वजह हो सकती हैं, जिनमें से एक वास्तु दोष भी है। अगर आपकी व्यापारिक परिस्थितियों के बावजूद आपके धन में वृद्धि…

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जगत है आद्याशक्ति प्रकट रूप

-वासुदेवशरण अग्रवाल- दुर्गा या देवी विश्व की मूलभूत शक्ति की संज्ञा है। विश्व की मूलभूत चिति शक्ति ही यह देवी है। देवों की माता अदिति इसी का रूप है। यही एक इडा, भारती, सरस्वती इन तीन देवियों के रूप में विभक्त हो जाती है। वेदों में जिसे वाक् कहा जाता है, वह भी देवी या शक्ति का ही रूप है। वसु, रुद्र, आदित्य इन तीन देवों या त्रिक के रूप में उस शक्ति का संचरण होता है। ऋग्वेद के वागम्भृणी सूक्त में इस शक्ति की महिमा का बहुत ही उदात्त…

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सफलता का बड़ा सिद्धांत: आत्मनिर्भर बनो

सभी जानते हैं कि हाथी सिंह की अपेक्षा अधिक बलवान जीव है। उसका आकार बड़ा, भारी और बलवान है, परन्तु फिर भी एक अकेला सिंह हाथियों के झुंड को भगाने में समर्थ होता है। शेर की ताकत का रहस्य क्या है? केवल यह कि हाथी अपने शरीर पर भरोसा करता है, जबकि शेर अपनी शक्ति पर भरोसा करता है। हाथी बनाम शेर हाथी चालीस-पचास, सौ-सौ या कभी-कभी दो-दो सौ का झुण्ड बनाकर चलते हैं। जब कभी वे विश्राम करते हैं, तो हमेशा एक बलशाली हाथी को पहरेदार के रूप में…

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अध्यात्म से ही स्थाई समाधान संभव

सामयिक समस्याओं का स्वरूप समझ लेने के उपरांत उपचार सरल होना चाहिये। रोग का सही निदान हो जाने पर चिकित्सा की आधे से अधिक कठिनाई हल हो जाती है। इन दिनों रुग्णता, उद्विग्नता, गरीबी, बेकारी, अशिक्षा, अव्यवस्था, निष्ठुरता के आधार पर पनपने वाली अनेकानेक कठिनाइयों के घटाटोप छाए हुए हैं। विकृतियां और विपन्नताएं:- विकृतियों और विपन्नताओं के आकार प्रकार अनेक हैं, पर उनका मूलभूत कारण एक है- आदर्शों के प्रति अनास्था। घटाएं बरसाती हैं, तो जल जंगल एक होते हैं, पर पावस के समाप्त होते ही न नाले इतराते हैं,…

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ज्ञान की पवित्रता को समझिए

गीता भारतीय चिन्तन का अद्भुत ग्रंथ है। उसके श्लोकों के अध्ययन और विश्लेषक से मानव जीवन के अनेकानेक रहस्यों का उद्धाटन होता है। पढ़ने और समझने से एक विशेष आनंद की अनुभूति होती है। गीता का उपदेश तो आज से लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व भगवान कृष्ण ने अर्जुन को अपने कर्तव्य के प्रति सजग करने को दिया था किन्तु उसके श्लोक समय की इतनी लंबी अवधि बीत जाने के उपरांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, बल्कि यूं भी कह सकते हैं कि इतने लंबे अंतराल के बाद जब…

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मृत्यु के बाद क्या होता है? क्या है दूसरी दुनिया का सच

क्या कोई दूसरा लोक है? क्या दूसरे लोक में भी लोग रहते हैं? हम जिस जगत में रहते हैं उसे भौतिक जगत कहा जाता है, लेकिन यह वास्तविक नहीं है. यह ईश्वर की कल्पना है. इसी प्रकार से ईश्वर की कल्पना के कई जगत हैं और ये तमाम लोक हमारे मन और आत्मा के साथ जुड़े हुए होते हैं. भौतिक जगत के साथ ही एक सूक्ष्म जगत भी होता है. ये हमें सामान्य आंखों से नहीं दिखता. ये या तो हमें ध्यान के माध्यम से दिखता है या कभी-कभी किसी…

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ये हैं शास्त्रों के अनुसार बताए गए भोजन करने के नियम

जब भूख सताती है तो व्यक्ति को खाना याद आता है। जाहिर है वक्त पर भोजन करना बहुत जरुरी भी है। मगर आजकल लोग ज्यादातर अपना वक्त अपने कामकाज करने या फिर घूमने-फिरने में बिताना पसंद करते हैं। वक्त पर भोजन न करना जहां हमारी सेहत के लिए नुकसानदायक सिद्ध होता है वहीं अन्न का अपमान भी समझा जाता है। जी हां, शास्त्रों के मुताबिक सही वक्त और सही तरीके से भोजन करना घर में बरकत को बढ़ावा देता है। चलिए आज आपको बताते हैं भोजन से जुड़े कुछ खास…

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दो रातों के बीच एक दिन या दो दिनों के बीच एक रात

यदि तुम अप्रसन्न हो तो इसका सरल सा अर्थ यह है कि तुम अप्रसन्न होने की तरकीब सीख गए हो। और कुछ नहीं! अप्रसन्नता तुम्हारे मन के सोचने के ढंग पर निर्भर करती है। यहां ऐसे लोग हैं जो हर स्थिति में अप्रसन्न होते हैं। उनके मन में एक तरह का कार्यक्रम है जिससे वे हर चीज को अप्रसन्नता में बदल देते हैं। यदि तुम उन्हें गुलाब की सुंदरता के बारे में कहो, वे तत्काल कांटों की गिनती शुरू कर देंगे। यदि उन्हें तुम कहो, कितनी सुंदर सुबह है, कितना…

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अहं की दृष्टि भगवान को नहीं पहचान पाती

सत्य को देखने व पहचानने के लिए पूर्ण होश, पूर्ण जागरूकता, पूर्ण चैतन्य जरूरी है। भगवान श्री कृष्ण दुर्योधन की राजसभा में दूत के रूप में पहुंचकर हठी दुर्योधन को युद्ध की विभीषिका व उससे उत्पन्न परिणामों की भयावहता के बारे में आगाह करते हुए पाण्डवों को केवल पांच गांव देने की बात कहते हैं कि पाण्डव इनसे ही संतुष्ट होकर अपना निर्वाह कर लेंगे। लेकिन अहंकार से भरा दुराग्रही दुर्योधन उलटे श्री कृष्ण को दुर्वचन कहता हुआ अपने सैनिकों द्वारा उन्हें बंदी बना लेने को उद्यत हो गया। भगवान…

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श्राद्धों में आने वाले महालक्ष्मी व्रत की कथा

-आचार्य कमल नंदलाल- महालक्ष्मी व्रत पौराणिक काल से मनाया जा रहा है। शास्त्रानुसार महाभारत काल में जब महालक्ष्मी पर्व आया। उस समय हस्तिनापुर की महारानी गांधारी ने देवी कुन्ती को छोड़कर नगर की सभी स्त्रियों को पूजन का निमंत्रण दिया। गांधारी के 100 कौरव पुत्रो ने बहुत सी मिट्टी लाकर सुंदर हाथी बनाया व उसे महल के मध्य स्थापित किया। जब सभी स्त्रियां पूजन हेतु गांधारी के महल में जाने लगी। इस पर देवी कुन्ती बड़ी उदास हो गई। इस पर अर्जुन ने कुंती से कहा हे माता! आप लक्ष्मी…

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