आखिर मेरे मोबाइल नंबर कोचिंग वालों को दिए किसने?

कौशल मूंदड़ा‘‘सर क्या आप लक्ष्यराज बोल रहे हैं…जी नहीं… तो उनके भाई या फादर बोल रहे हैं … आप बताइये आपको काम क्या है … जी मैं ….. इंस्टीट्यूट से बोल रहा हूं…. हमें आपके बच्चे के एजुकेशन से रिलेटेड बात करनी है ….वह तो ठीक है लेकिन आपको मेरे नंबर कहां से मिले … जी आपके बच्चे ने हमारी वेबसाइट की विजिट की होगी तो आपका डेटा हमारे पास आ जाता है।ऐसा कैसे, एक क्लिक में मेरा डेटा आपके पास आ गया …. यह किस अधिकार से आप प्राप्त कर रहे हैं….।साॅरी सर,…

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केन-बेतवा जोड़ योजना पर सहमति बड़ी उपलब्धि

सियाराम पांडेय ‘शांत’ केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के क्रियान्वयन के करार पर केंद्र सरकार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने हस्ताक्षर कर दिए। केन नदी का पानी बेतवा तक भेजने के लिए दौधन बांध बनाया जाएगा जो 22 किलोमीटर लंबी नहर को बेतवा से जोड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि वर्षा जल के संरक्षण के साथ ही देश में नदी जल के प्रबंधन पर भी दशकों से चर्चा होती रही है, लेकिन अब देश को पानी के संकट से बचाने के लिए इस दिशा में तेजी…

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टीबी यानी तपेदिक रोग कितना खतरनाक

विश्व टीबी दिवस (24 मार्च) पर विशेषरंजना मिश्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार हर वर्ष लगभग 4 से 5 लाख लोग और हर रोज 12 सौ से 13 सौ लोग टीबी से मर रहे हैं। टीबी विश्व भर में मृत्यु के बड़े कारणों में से एक है। टीबी बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है, टीबी फैलाने वाले बैक्टीरिया का नाम है “माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस”। टीबी मुख्यतः फेफड़ों में होती है, जिसे पल्मोनरी टीबी कहते हैं, किंतु यदि यह शरीर के दूसरे हिस्से को प्रभावित करती है तो यह एक्स्ट्रा पल्मोनरी…

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फुदकती गौरैया कब आएगी हमारे आंगन ?

विश्व गौरैया दिवस (20 मार्च) पर विशेषयोगेश कुमार गोयलघर-आंगन में या खिड़की-दरवाजे पर बेधड़क फुदकने और चहकने वाली गौरैया आजकल हमें अपने आसपास नजर नहीं आती। छोटे आकार के इस खूबसूरत से पक्षी का बसेरा हमारे घरों तथा आसपास ही पेड़-पौधों पर हुआ करता था लेकिन अब यह पक्षी विलुप्ति के कगार पर है। इसकी आवाज सुनने को कान तरस जाते हैं। स्वयं को परिस्थितियों के अनुकूल बना लेने वाली यह नन्हीं सी प्यारी सी चिड़िया करीब दो दशक पहले तक हर कहीं झुंड में उड़ती देखी जाती थी लेकिन…

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पश्चिम बंगाल में `खेला होबे’

प्रभुनाथ शुक्ल पश्चिम बंगाल की चुनावी राजनीति में मुख्यमंत्री यानी ममता दीदी का एक नारा मीडिया में खूब छाया है खेला होबे- खेला होबे। ममता दीदी इस नारे से क्या चुनावी संदेश देना चाहती हैं यह अलग बात है, लेकिन बंगाल के सियासी पर्दे पर जो चित्र उभरकर निकले हैं उसके अनुसार हमें कहना पड़ रहा है कि दीदी बंगाल में खेला ना होबे, अभिनेता नेता होबे। पश्चिम बंगाल में क्या खेला होगा, यह दीगर बात है लेकिन राजनीति ने वहां अभिनेताओं की फौज को नेता बना दिया है। चुनावी…

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अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हों उपभोक्ता

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस (15 मार्च) पर विशेष योगेश कुमार गोयल जमाखोरी, कालाबाजारी, मिलावट, नाप-तौल में गड़बड़ी, मनमाने दाम वसूलना, बगैर मानक वस्तुओं की बिक्री, ठगी, सामान की बिक्री के बाद गारंटी अथवा वारंटी के बावजूद सेवा प्रदान नहीं करना इत्यादि समस्याओं से ग्राहकों का सामना अक्सर होता रहता है। ऐसी ही समस्याओं से उन्हें निजात दिलाने और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए प्रतिवर्ष 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है। वास्तव में यह उपभोक्ताओं को उनकी शक्तियों और अधिकारों के बारे में जागरूक…

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धर्मनिरपेक्षता के पाखंड का टूटता मिथक

जय श्रीराम के नारे पर आपत्ति जताने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के धर्मनिरपेक्षता के पाखंड का मिथक इस चुनाव में टूटता दिख रहा है। चोला बदलते हुए अब ममता नंदीग्राम में शिव मंदिर पर जलाभिषेक करती दिखीं, वहीं स्वयं को देवी चंडी की भक्त और ब्राह्मण भी कहकर प्रचारित कर रही हैं। हिंदू मतदाताओं को साधने की दृष्टि से यह उनका मुस्लिम तुष्टिकरण से बाहर आने का स्वांग है। जबकि मार्क्सवादियों से सत्ता छीनने से लेकर दस साल मुख्यमंत्री बने रहने के दौरान न केवल उन्होंने हिंदुओं…

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अरविंद केजरीवाल और धार्मिकता का पाखंड

दिनेश प्रताप सिंह एक बात तय हो गई कि अब कोई भी पार्टी देश में हिंदू विरोधी भावनाओं को उभारकर राजनीति नहीं कर सकती। आजादी के 70 साल बाद ही सही, भारत के गैर भाजपा राजनीतिक दलों को अहसास हो गया कि तुष्टीकरण के जरिए सत्ता प्राप्त करने का रास्ता बंद हो गया। इसके लिए सभी को आरएसएस और भाजपा का आभारी होना चाहिए कि दशकों तक पोषित छद्म सेकुलरिज्म की नीति अब और नहीं चलेगी। लेकिन यह मानना भी सही नहीं होगा कि गैर भाजपा दलों का कोई हृदय…

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ममता का प्लास्टर और बंगाल चुनाव

ऋतुपर्ण दवे देश में कोरोना के बाद यदि किसी दूसरी चीज की चर्चा है तो वह है पश्चिम बंगाल का विधानसभा चुनाव। बुधवार शाम ममता के चोटिल होने के बाद प्रदेश की राजनीति में एकाएक जो मोड़ आया, वह बेहद दिलचस्प और चुनाव को प्रभावित करने वाला भी हो सकता है। ममता बनर्जी जिस तरह चोटिल हुई वह चर्चा का विषय हो सकता है लेकिन उनके स्वास्थ्य सुधार की कामना किए बिना सीधे नाटक, नौटंकी करने जैसे बयान देकर विपक्षी पार्टियों ने खुद के लिए कितना अच्छा, कितना बुरा किया…

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मत बांटो थोक के भाव पीएचडी की डिग्रियां

आर.के. सिन्हा दिल्ली विश्वविद्यालय के हालिया संपन्न 97वें दीक्षांत समारोह में 670 डॉक्टरेट की डिग्रियां दी गईं। मतलब यह कि ये सभी पीएचडी धारी अब अपने नाम के आगे “डॉ.” लिख सकेंगे। क्या इन सभी का शोध पहले से स्थापित तथ्यों से कुछ हटकर था? बेशक, उच्च शिक्षा में शोध का स्तर अहम होता है। इसी से यह तय किया जाता है कि पीएचडी देने वाले विश्वविद्यालय का स्तर किस तरह का है। अगर अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नालॉजी (एमआईटी), कोलोरोडा विश्वविद्यालय, ब्रिटेन के कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालयों का…

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