-रमेश ठाकुर- आचार संहिता के उल्लघंन को लेकर इसबार चुनाव आयोग में शिकायतों का अंबार लगा हुआ है। शिकायतें देखकर आयोग भी सकते में है। ज्यादातर शिकायतें विपक्षी दलों से हैं। शिकायतों का निदान नहीं होने पर वह चुनाव आयोग की समूची कार्यशैली को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। निष्पक्षता से लेकर पोलिंग में गड़बड़ियां, मतदान के दिन ईवीएम में खराबी, बेलगाम नेताओं पर समय पर कार्यवाई न करना आदि के आरोप लग रहे हैं। मौजूदा लोकसभा चुनाव में आयोग शिकायतों से पटा हुआ है। चुनावी रैलियों में उम्मीदवार…
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चुनावी सीजन में बेकाबू होती महंगाई
-अनुज कुमार आचार्य- हिमाचल प्रदेश सहित भारतवर्ष में 17 वीं लोकसभा की चुनावी गहमागहमी के बीच इन दिनों अप्रैल महीने में ही सब्जियों के दाम आसमान को छू रहे हैं जोकि अमूमन प्रचंड गर्मी और बरसात के दिनों में देखने को मिलते थे। इस समय सभी प्रमुख राजनीतिक दल जहां केंद्र में नई सरकार बनाने की जद्दोजहद में जुटे पड़े हैं तो वहीं प्रशासनिक अमले पर इन चुनावों को सफलतापूर्वक संपन्न करवाने के साथ-साथ बढ़ती गर्मी के बीच मतदान प्रतिशत को बढ़ाने की महती जिम्मेदारी भी है। अफसरों की चुनावों…
Read Moreसबसे तेज अर्थव्यवस्था का सच
-डा. भरत झुनझुनवाला- वर्ष 2014 में भाजपा ने आर्थिक विकास के मुद्दे पर चुनाव जीते थे। भाजपा का कहना था कि कांग्रेस में निर्णय लेने की क्षमता नहीं रह गई थी। भाजपा अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाएगी जिससे कि तमाम रोजगार उत्पन्न होंगे। बीते समय में तमाम अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने भारत को शाबाशी भी दी है। कहा है कि विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में भारत सबसे तेजी से आर्थिक विकास की राह पर चल रहा है और शीघ्र ही भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। हम…
Read Moreसिनेमा से सियासत : भारतीय राजनीति में उत्तर-दक्षिण का फर्क
-उर्मिलेश- जब 23 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण का मतदान चल रहा था, सत्ताधारी बीजेपी समारोहपूर्वक फिल्मी हस्तियों की नई खेप अपने कुनबे में शामिल कर रही थी। इनमें कुछेक को लोकसभा चुनाव के टिकट भी घोषित हो गए। न्यूज चैनलों ने मतदान कवरेज छोड़ राजनीति में दाखिल हो रहे सनी देओल की ‘युद्ध और राष्ट्रवाद’ के थीम वाली फिल्मों के फुटेज दिखाने शुरू कर दिए। उत्तर भारत की राजनीति में फिल्मी हस्तियों और नामचीन कलाकारों को एकाएक राजनीति में दाखिल कराकर उन्हें संसद भेजने के मामले में…
Read Moreक्या बदलाव की नई जमीन बनेगा बेगूसराय!
-प्रणव प्रियदर्शी- चौथे चरण में आज यूं तो नौ राज्यों की 71 लोकसभा सीटों पर वोट पड़ने हैं, लेकिन पूरे देश की नजरें अगर किसी एक सीट पर टिकी हैं तो वह है बेगूसराय। जेएनयू कांड से उभरे युवा नेता कन्हैया कुमार की मौजूदगी इस लड़ाई को विशिष्ट बना रही है। बीजेपी ने इस सीट पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को टिकट दिया है तो आरजेडी की तरफ से तनवीर हसन मैदान में हैं। बिहार में मतदान के ट्रेडिशनल पैटर्न में जाति और धर्म का अहम रोल होता है और…
Read Moreमजदूर दिवस की प्रासंगिकता
(श्रमिक दिवस, 1 मई पर विशेष) योगेश कुमार गोयलप्रतिवर्ष 1 मई का दिन अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस अथवा मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। उस दिन को मई दिवस भी कहा जाता है। मई दिवस समाज के उस वर्ग के नाम किया गया है, जिसके कंधों पर सही मायनों में विश्व की उन्नति का दारोमदार है। इसमें कोई दो राय नहीं कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति एवं राष्ट्रीय हितों की पूर्ति का प्रमुख भार इसी वर्ग के कंधों पर होता है। यह मजदूर वर्ग ही है, जो अपनी…
Read Moreबापू की ‘वसीयत’ और कांग्रेस की सियासत
मनोज ज्वालाआजादी के बाद गांधीजी (बापू) ने कहा था कि भारत की आजादी का लक्ष्य पूरा हो जाने के बाद राजनीतिक दल के रुप में कांग्रेस के बने रहने का अब कोई औचित्य नहीं है। अतएव इसे भंग करके लोक सेवक संघ बना देना चाहिए और कांग्रेस के नेताओं को सामाजिक कार्यों में जुट जाना चाहिए। गांधीजी ने अपनी हत्या के तीन दिन पहले यानी 27 जनवरी 1948 को एक नोट में लिखा था कि अपने वर्तमान स्वरूप में कांग्रेस अपनी भूमिका पूरी कर चुकी है। अतएव इसे भंग करके…
Read Moreमोदी के नामांकन में भी सोशल इंजीनियरिंग
सियाराम पांडेय ‘शांत’ चुनाव के मौसम में नामांकन तो सभी करते हैं। रोड शो भी सभी दल निकालते हैं, लेकिन नरेन्द्र मोदी का रोड शो और नामांकन जुलूस न केवल ऐतिहासिक रहा बल्कि अलहदा भी रहा। उसमें इनोवेशन भी नजर आया और क्रिएशन भी। वाराणसी की तीन बड़ी पहचान हैं बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, मां गंगा और डोमराज का परिवार। मोदी ने इन तीनों को अहमियत दी। बाबा विश्वनाथ और भगवान कालभैरव को तो याद किया ही। काशी में सबसे पहले महामना मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा को प्रणाम किया और…
Read Moreईवीएम पर आरोप से गिरता मतदाता का मनोबल
रमेश ठाकुर मतदाता बड़ी उम्मीद से अपने मनपसंद उम्मीदवार को वोट दान करता है पर जब वह उन अफवाहों पर गौर करता है कि उनका दिया मत किसी को चला गया तो उसके विश्वास को गहरा आघात पहुंचता है। इसलिए जरूरत इस बात की है इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर आरोप लगाने से पहले समूचे विपक्ष को वोटर्स की आकांक्षाओं और उनके अटूट विश्वास को ध्यान में रखना चाहिए। एक प्रचलित कहावत है ‘नाच न जाने आंगन टेढ़ा’। इसका अर्थ होता है अपनी विफलता को स्वीकार न करके दोष दूसरों…
Read Moreकभी सोचा है जल के बिना जीवन का अस्तित्व?
-दिलीप बीदावत- जैसे जैसे गर्मी शुरू हो रही है देश भर में पानी की कमी की ख़बरें चिंता का विषय बनती जा रही हैं। पिछले कुछ वर्षों में देश के कई क्षेत्रों में मई और जून महीने में डैम-जलाशयों तथा नदियों के सूखने और पानी की त्राहिमाम के रोंगटे खड़े कर देने वालीं ख़बरें लगातार मिलती रही हैं। वह भी ऐसे समय में जब इंसान वैज्ञानिक और आधुनिक उच्च तकनीक से लैस मशीनी युग में जी रहा है। यह अटल सत्य है कि पानी के बिना इंसानी सभ्यता का कोई…
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