नई दिल्ली। कैबिनेट ने बुधवार को दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों के 40 लाख निवासियों को संपत्ति पर मालिकाना हक और बेचने का अधिकार दिए जाने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इस संबंध में संसद के अगले सत्र में विधेयक लाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। मंत्रिमंडल के फैसले की जानकारी देते हुए शहरी आवास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि इन कॉलानियों के अनधिकृत होने के चलते यहां असुरक्षित मकान बने हुए हैं और यहां लोगों को बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। इन्हीं दिक्कतों को देखते हुए सरकार ने इन कॉलोनियों में रह रहे लोगों को मालिकाना हक देने का फैसला किया है। इससे अब उन्हें अनुमति लेने से जुड़ी दिक्कतें नहीं आएंगी और ऋण लेने में सुविधा मिलेगी। पुरी ने कहा कि सरकार के फैसले से अब इन कॉलोनियों में खरीद फरोख्त संभव हो पाएगी। यह बन रहे मकानों की संरचना में सुधार होगा। यह फैसला चिन्हित 1,797 अनधिकृत कॉलानियों में लागू होगा, जहां ज्यादातर निम्न आय वर्ग के लोग रहते हैं। हालांकि यह डीडीए की ओर से चिह्नित 69 समृद्ध कॉलोनियों पर लागू नहीं होगा, जिनमें सैनिक फार्म, महेन्द्रू एन्क्लेव और अनंत राम डेयरी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि मालिकाना हक पाने के लिए इन कॉलानियों में रह रहे लोगों को कार्पेट और प्लॉट एरिया के आधार पर बेहद कम दर पर शुल्क देना होगा। यह सर्किल रेट 0.5 प्रतिशत (100 वर्ग मीटर से कम के लिए), 1 प्रतिशत (100 – 250 वर्गमीटर के लिए) और 2.5 प्रतिशत (250 वर्गमीटर से अधिक के लिए) पर देय होगा। निजी भूमि पर कॉलोनियों के लिए सरकारी भूमि से आधा शुल्क देना होगा। इस संबंध में सरकार संसद में विधेयक लाएगी। विधेयक में एक बार के लिए जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी, विल, एग्रीमेंट टू सेल, पर्चेज एंड ऑक्यूपेशन डॉक्यूमेंट्स को मान्यता दी जाएगी। विधेयक अंतिम लेनदेन पर पंजीकरण शुल्क और स्टांप शुल्क की व्यवस्था करेगा और सर्किल रेट से कम को ध्यान में रखते हुए आयकर देयता के मुद्दे को भी संबोधित करेगा। डीडीए संपत्ति के पंजीकरण के लिए एक सरलीकृत प्रक्रिया लेकर आएगा।
This post has already been read 8416 times!