जलियांवाला बाग न्यास से जुड़ा विधेयक लोकसभा में पारित

नई दिल्ली। लोकसभा में कांग्रेस अध्यक्ष को जलियांवाला बाग न्यास के सदस्य पद से हटाए जाने से जुड़ा विधेयक शुक्रवार को चर्चा के बाद पारित हो गया। विधेयक के अंत में संशोधनों पर विचार के लिए मत विभाजन हुआ, जिसे सदन ने 30 के मुकाबले 214 मतों से खारिज कर दिया। विधेयक को पारित करते समय कांग्रेस ने सदन से वाकआउट किया। जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संधोधन) विधेयक-2019 पर शुक्रवार को लोकसभा में चर्चा का जवाब देते हुए संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि इसे राष्ट्रीय स्मारक से जुड़े न्यास को राजनीति से दूर करने के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार मानती है कि व्यक्ति से बड़ा दल और दल से बड़ा देश होता है और राष्ट्रीय स्मारक कभी भी राजनीतिक स्मारक नहीं हो सकता। विपक्ष के प्रश्नों का उत्तर देते हुए मंत्री ने कहा कि वह इस बात को लेकर दुखी और शर्मिंदा हैं कि चर्चा को बहुत ही निचले स्तर तक ले जाया गया है। उन्होंने कहा कि जलियांवाला बाग में हमारे बलिदानी पुरखों का खून है। उसकी माटी का हमें सम्मान करना चाहिए। जलियांवाला बाग राष्ट्रीय समारक (संधोधन) विधेयक-2019 शुक्रवार को लोकसभा में चर्चा के लिए लाया गया। इस दौरान अमृतसर से सांसद गुरजीत सिंह औजला ने कांग्रेस अध्यक्ष को स्थाई न्यासी पद से हटाए जाने का विरोध किया। केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री के दादा ने जलियांवाला बाग हत्याकांड के दोषी जनरल माइकल ओ डायर को तार के जरिए इसके लिए धन्यवाद दिया था। औजला ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने ही जलियांवाला बाग में विरोध प्रदर्शन किया। उनके कार्यकर्ताओं ने जान दी। इसके बाद शहीदों की याद में स्मारक बनवाया, उसके लिए 10 लाख रुपये दिए। ऐसे में कांग्रेस के अध्यक्ष को जलियांवाला बाग ट्रस्ट से हटाना गलत है। शुक्रवार को जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक न्यास, 1951 में संशोधन से जुड़ा विधेयक लोकसभा में पेश किया गया। विधेयक के कानून बनने के बाद सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के नेता, सरकारी नामित और सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता न्यास के सदस्य होंगे।

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