विपक्षी दलों पर भाजपा की सर्जिकल स्ट्राइक

रांची । झारखंड में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने विपक्ष को करारा झटका दिया है। भाजपा ने कांग्रेस-झामुमो के दो-दो विधायकों को पार्टी में शामिल कराया। कांग्रेस और झामुमो से जुड़े ये विधायक अपनी पार्टी में खासी धाक रखते हैं। इनकी सियासी हैसियत के कारण झारखंड में अलग पहचान है। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि भाजपा की विपक्ष पर यह बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक है।

भाजपा के रणनीतिकारों ने जिस प्रकार सियासी बिसात बिछायी उसके आगे विपक्षी दलों के भीतर भगदड़ की स्थिति बनती दिखाई दे रही है। सियासी जानकारों की मानें तो अभी कई और विपक्ष के विधायक और बड़े नेता भाजपा के खेमे में शामिल हो सकते हैं।

भाजपा प्रदेश नेतृत्व शुरू से ही विपक्ष के मुकाबले चुनावी तैयारी में बहुत आगे है। भाजपा के शीर्ष नेता हर मोर्चे पर काम कर रहे हैं। विकास और क्षेत्रीय मुद्दे को लेकर 65 प्लस के लक्ष्य को ध्यान में रखकर संगठन हर विधानसभा क्षेत्र पर फोकस कर रहा है। जमीनी स्तर का फीडबैक शीर्ष नेताओं को हर रोज पहुंचाया जा रहा है। भाजपा विपक्षी दलों के ऐसे नेताओं पर नजर रख हुए है, जो अपने पार्टी के अंदरूनी विवाद से नाराज चल रहे हैं। भाजपा के प्रदेश के शीर्ष नेता मुख्यमंत्री रघुवर दास, संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह, अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा सहित अन्य रणनीतिकार साथ बैठकर ऐसे नामों पर चर्चा कर अपने कार्यकर्ताओं और सर्वे रिपोर्ट के अनुसार दूसरे दलों के ऐसे नेताओं के बारे में पूरी जानकारी रख रहे हैं। इसके बाद पूरी रणनीति के तहत ऐसे नेताओं को शामिल कराया गया है।

बहरहाल, लोकसभा चुनाव के दरम्यान और इसके रिजल्ट के बाद ऐसे संकेत मिलने लगे थे कि झामुमो और कांग्रेस के कुछ नेता भाजपा में शामिल हो सकते हैं। भाजपा के बढ़ते प्रभाव, राष्ट्रवाद और विकास के मुद्दे पर कई अवसरों पर विपक्षी दलों के विधायक खुलेआम अपनी पार्टी लाइन के विपरीत स्टैंड लेते दिखाई दिए। झामुमो के विधायक और पूर्व मंत्री जयप्रकाश पटेल ने तो भाजपा के मंच पर खड़े होकर झामुमो के खिलाफ भाषण दिया। वहीं कांग्रेस के भी कुछ नेता अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर भाजपा के साथ दिखे।

इन सब के बीच विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने पार्टी नेतृत्व से बातचीत करके अपनी योजना को अमलीजामा पहनाया और ऐसे विधायकों को पार्टी में शामिल किया। भाजपा में शामिल होने वाले प्रमुख नेताओं में प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और विधायक सुखदेव भगत, कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री मनोज कुमार यादव, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) विधायक जयप्रकाश भाई पटेल और कुणाल षाडंगी, नौजवान संघर्ष मोर्चा विधायक भानुप्रताप शाही और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और छत्तीसगढ़ के सह प्रभारी अरूण उरांव शामिल हैं। वहीं राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक डीके पांडेय, भारतीय प्रशासनिक सेवा की सेवानिवृत्त अधिकारी सुचित्रा सिन्हा ने पार्टी की सदस्यता ली।

जानकारों की मानें तो भाजपा का यह मास्टर स्ट्रोक है, जिससे विपक्ष को उबरने में काफी वक्त लगेगा क्योंकि ऐसे नेताओं ने पार्टियों का दामन छोड़ा है जो सियासी तौर पर अपने-अपने इलाके में मजबूत पकड़ रखते हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव भगत लोहरदगा से विधायक हैं। दिलचस्प बात यह है कि 2005 में राज्य प्रशासनिक सेवा का त्यागकर उन्होंने भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़कर उस समय के कैबिनेट मंत्री रहे सधनू भगत को चुनाव हराया था। झामुमो के मांडू विधायक जयप्रकाश भाई पटेल, झामुमो के कद्दावर नेता टेकलाल महतो के पुत्र हैं। भाजपा ने मांडू सीट के बहाने कुरमी वोटरों को अपने पक्ष में करने की रणनीति बनाई है। 2014 में पांकी विधानसभा सीट से झामुमो उम्मीदवार शशिभूषण मेहता भी भाजपा में शामिल हो गये।

कांग्रेस विधायक मनोज यादव बरही सीट से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। ओबीसी वोटरों को अपने पक्ष में करने की रणनीति के तहत उन्हें पार्टी में शामिल कराया गया है। बहरागोड़ा से विधायक कुणाल षाड़ंगी को अपने पाले में लाकर भाजपा इस सीट पर कब्जा करना चाहती है। इस सीट पर 2009 और 2014 में झामुमो ने जीत दर्ज की है। कुणाल के पिता डॉ दिनेश षाड़ंगी भाजपा के वरिष्ठ नेता रह चुके हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव अरुण उरांव को भाजपा गुमला से मैदान में उतार सकती है। इस सीट से किसी कद्दावर नेता की तलाश में थी। वहीं, नौजवान संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष और भवनाथपुर के विधायक भानुप्रताप शाही को अपने खेमे में लाकर भाजपा इस सीट पर कब्जा करना चाहती है। भवनाथपुर सीट भाजपा कभी नहीं जीती है। भानुप्रताप शाही की पार्टी का विलय कराने को भाजपा बड़ी उपलब्धि मान रही है।

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