बच्चों का कमरा सजाने से पहले जाने उसके बारे में…

बच्चे के कमरे की आती है तो हम लोग ढील बरत देते हैं, लेकिन बच्चे के कमरे पर भी ध्यान देना उतना ही जरूरी है, जितना बाकी घर पर। कमरे की सजावट करते समय छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है क्योंकि यहीं वह जगह है, जहां से उसके सपनों को नई उड़ान मिलती है। वह अपने कमरे से ही शैतानियों के साथ-साथ नए-नए कामों की प्लानिंग करता है। यहीं से उसकी अलग पर्सनैलिटी विकसित होनी शुरू होती है।

क्लरफुल दीवारें:- बच्चे के कमरे की दीवारें खूबसूरत रंगों से सजी होनी चाहिए। कोशिश करें कि दीवारों पर पेंट उसी रंग का हो जो बच्चे का फेवरेट हो। दीवारों को पर बच्चे की मनपसंद कविता या कार्टून करैक्टर बनाना भी कमरे की रौनक को और बढ़ाएगा लेकिन साज सजावट में इस बात को कतई न भूले कि उसमें उसके आराम और सुविधाओं का भी पूरा ख्याल हो। दीवारों पर वॉशऐबल पेंट या डिजाइनर वॉलपेपर का इस्तेमाल करें क्योंकि बच्चे अक्सनर दीवारों पर अपनी चित्रकारी का हुनर दिखाते हैं। अगर बच्चा छोटा हैं तो वह अपनी स्कूल टीचर के नक्शे कदमों पर दीवारों पर अल्फाबेट बनाएगा लेकिन बच्चों को ऐसा करने से रोके नहीं उन्हें नए-नए क्रेटिव काम करने दें क्योंकि अगर हम बार बार उन्हें कुछ भी करने से रोकेंगे तो वह कभी भी आत्म निर्भर नहीं हो पाएंगे।

कैसी हो कलर स्कीम:-  बच्चे को खुश और उनमें भरपूर एनर्जी बनाए रखने के लिए विशेषज्ञ बच्चों के कमरे में आकर्षक रंगों के इस्तेमाल की सलाह देते हैं। लड़कियों के लिए गुलाबी और लड़कों के लिए नीला रंग के दायरे से बाहर निकलकर कमरे में अपने बच्चे की पसंद के अनुरूप न्यॉन कलर्स, पैरेट, गुलाबी, चॉकलेटी, लाल या नीला जैसे रंगों से सजाएं। बच्चों को ज्यादातर कार्टून करेक्टरों में रूचि होती है इसलिए आप बार्बी, डोरेमॉन, छोटा भीम, टॉम एंड जैरी या अन्य फेवरेट कैरेक्टर के प्रिंट वाले कुशन्स, बेड कवर और कर्टन से कमरे को खूबसूरत और कलरफुल लुक दे सकते हैं। कमरे में आप उनके मन पसंद खिलौनों से भी सजा सकते हैं।

बनाएं मल्टी फंक्शनल:-  बच्चे के कमरे को ज्यादा क्लरफूल बनाने के लिए आप उसके पढ़ने, खेलने, क्राफ्ट, पेंटिंग जैसी चीजों के लिए अलग-अलग जोन बनाएं, जहां वह आराम से ये सभी चीजें कर सके। अगर बच्चा छोटा हैं तो उसके कमरे में आप नंबर या अल्फाबेट के डिजाइन वाली दरी बिछा सकती हैं या किसी दीवार पर गिनती या अल्फाबेट वाले पैटर्न लटका सकती हैं। ऐसे करके खेलना-कूदना और पढ़ना साथ-साथ चलेगी और वह पढ़ाई को सिरदर्द समझ कर नहीं बल्कि एन्जॉय करेगे। बच्चों को प्जल गेम और दिमागी गेम की तरफ रूझाएं जिससे उनकामाइंड शार्प बनेगा।

स्टोरेज हो पर्याप्त:- कमरे में स्टोरेज की पूरी सुविधा होनी चाहिए क्योंकि बच्चा चाहे किसी भी उम्र का हो, उसके पास ढेर सारा सामान होता है। उसके पास किताबें, कपड़े, स्टेशनरी और खिलौनों का पिटारा होता है। बॉक्स बेड की जगह ऐसा बेड चुनें, जिसके साथ हेड बोर्ड शेल्फ और अंडर बेड ड्रॉअर जुड़े हों। इसके अलावा आप फोल्डेबल स्टोरेज बीन, दीवारों और दरवाजों पर हुक्स, खूबसूरत टोकरियों और शेल्फ का इस्तेमाल करके स्टोरेज स्पेस बनाई जा सकती है।

बढ़ती उम्र की जरूरतें:- बच्चे पलक झपकते ही बड़े होते दिखाई देते हैं। बच्चे के कमरे की सजावट इस प्रकार करें कि उसमें उम्र के साथ बदलती जरूरतों के अनुरूप आसानी से बदलाव किए जा सकें। छोटे बच्चों को आर्ट और क्राफ्ट के लिए प्ले टेबल की जरूरत होती है, तो स्कूल जाने वाले बच्चों को स्टडी टेबल की। बच्चे के कमरे के लिए फर्नीचर भी ऐसा चुनें, जिसे जरूरत के अनुसार, आसानी से बदला जा सके।

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