रांची। मोदी का जादू मतदाताओं के सिर चढ़कर ऐसा बोला कि लोकसभा चुनाव के परिणाम ने झारखंड में कई मायने में इतिहास रच दिया है। भाजपा और उसकी सहयोगी आजसू ने राज्य की 14 में से 12 सीटों पर कब्जा कर लिया।
भाजपा और उसके सहयोगी के इस शानदार प्रदर्शन के बाद विपक्षी गठबंधन पर निगाह डालें तो तस्वीर ज्यादा साफ हो जाती है। राष्ट्रीय पार्टी का दंभ भरने वाली कांग्रेस को राज्य में लाज बचाने लायक एक सीट ही मिली। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का गढ़ समझा जाने वाले दुमका में इसबार कमल खिला और पिछली बार से उसे एक सीट कम मिली। मोदी लहर की मार राजद पर भी पड़ी। दूसरी साझीदारी झाविमो को एक भी सीट नहीं मिली। वामदल तो राजनीतिक परिदृश्य से ही ओझल हो गये।
झारखंड में भाजपा ने मादी के नाम पर चुनाव लड़ा और इसे जन-जन तक पहुंचाने में सफलता हासिल की। भाजपा अपनी रणनीति के तहत उन क्षेत्रों में भी सेंध मारने में सफल रही, जहां यूपीए के विधायकों का खास प्रभाव था। भाजपा यूपीए के प्रभाव वाले कई क्षेत्रों में वोटरों को अपनी ओर खींचने में कामयाब रही। यह परिणाम 2004 के बाद से भाजपा के लगातार विस्तार की ओर इशारा करते हैं।
झारखंड गठन के बाद 2004 में हुये लोकसभा चुनाव में भाजपा को राज्य में महज एक सीट पर संतोष करना पड़ा था। वह सीट कोडरमा की थी, जिसपर बाबूलाल मरांडी ने कब्जा जमाया था। इसके बाद 2009 में हुए लोकसभा चुनाव के परिणाम को देखें तो चौंकाने वाला रहा। 2004 में महज एक सीट पाने वाली भाजपा 2009 में सात सीटों पर पहुंच गयी और झारखंड में अपनी राजनीतिक जमीन पुख्ता कर ली। राजमहल, गोड्डा, गिरिडीह, धनबाद, खूंटी, लोहरदगा और हजारीबाग सीट पर कब्जा जमाया।
इसके बाद जीत का दायरा 2014 में और बढ़ा। 2014 में पार्टी ने 12 सीटों पर शानदार जीत दर्ज की। 2014 में रांची, गोड्डा, जमशेदपुर, सिंहभूम, लोहरदगा, खूंटी, धनबाद, हजारीबाग, गिरिडीह, कोडरमा, पलामू और चतरा पर कब्जा जमाया था। 2014 की जीत को बरकरार रखते हुए 2019 में भी भाजपा ने विपक्षी गठबंधन को पटखनी देते हुए दोबारा 12 सीटों पर जीत दर्ज की। पार्टी ने रांची, हजारीबाग, चतरा, पलामू, धनबाद, जमशेदपुर, कोडरमा, लोहरदगा और गोड्डा सीट पर अपना दबदबा बनाए रखा।
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