प्रेम के अनछुवे पहलुओं से अवगत कराती है काव्य संग्रह ‘प्रेमनामा’- कामेश जी

राँची : प्रस्तुत काव्य संग्रह प्रेमनामा अशोक पारस की बेहद ही अनूठी पुस्तक है। जिसमें लेखक द्वारा जीवन के विभिन्न रंगों पर कविताएं लिखी गईं हैं मसलन- प्रेम रंग, सामाजिक कविताएं, राजनीतिक परिवेश, स्त्री आधारित एवं अन्य भावाभिव्यक्तियाँ ।
निश्चित रूप से श्री पारस की कवितायेँ सुधि पाठकों को एक अलग ही रोमांच का एहसास करा जाती हैं। विभिन्न विषयों पर आधारित इनकी कविताएँ लेखक के बहुरंगी विचारधारा को प्रतिबिंबित करती हैं जो इनकी विलक्षण प्रतिभा का एक सहज प्रमाण है। कविताओं में नवयौवना से प्रौढ़ावस्था के अनुभव दृष्टिगत होते हैं। प्रेम रस पर आधारित कविताएं जहाँ उमंग और नवल किशोरों के अल्हड़पन को उकेरती नजर आती हैं तो वहीं सामाजिक और तात्कालिक ज्वलंत मुद्दों की कविताओं में पारस के ठोस अनुभव की गर्जना दिखती है। स्त्री और देशभक्ति पर अपनी कलम चलाकर लेखक ने अपने काव्य संग्रह को गागर में सागर के समान समृद्ध कर दिया है।

पारस जी आरम्भ से ही मिट्टी से जुड़े व्यक्ति रहे हैं अति महत्वाकांक्षी उड़न खटोले पर सवार होना इन्होंने कभी पसंद नहीं किया है तभी तो इनकी कविताओं में माटी की सुगंध प्रस्फुटित होती परिलक्षित होती है।

हालांकि यह अशोक पारस जी की पहली काव्य संग्रह है जिसमें उनके आरंभिक लेखन शैली का सार दिखता है तथापि व्यक्तित्व के धनी श्री पारस की वर्तमान कविताओं में एक अलग ही प्रकार की संवेदनशीलता नजर आती है।

मैं व्यक्तिगत रुप से श्री अशोक पारस की प्रस्तुत काव्य संग्रह प्रेमनामा हेतु अनेकानेक शुभकामनाएं प्रेषित करता हूँ। निश्चित रुप से इनकी यह कृति काव्य प्रिय लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल होगी।

This post has already been read 3014 times!

Sharing this

Related posts