केंद्र पर राज्य का 1.36 लाख करोड़ रुपये बकाया : हेमंत

-झारखंड आंदोलनकारियों के चिन्हितीकरण का कार्य शुरू

-‘लोगो ‘और नए आवेदन प्रपत्र का लोकार्पण

रांची। झारखंड मंत्रालय स्थित सभागार में शुक्रवार को झारखंड आंदोलनकारी चिह्नितीकरण आयोग के शुभारंभ के मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में पहुंचे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य का केंद्र पर एक लाख 36 हजार करोड़ बकाया है। इसमें केवल 1200 करोड़ के करीब ही मिल सका है। अगर केंद्र राज्य का बकाया लौटा दे तो भारत सरकार भीख मांगती नजर आएगी। अगर ब्याज ही दे दे तो झारखंड देश के सबसे बड़े और समृद्ध राज्य में शामिल हो जायेगा।

मुख्यमंत्री ने राज्य में कोयला, लौह अयस्क, बालू, गिट्टी की नीलामी पर कहा कि झारखंड के कितने लोग इन खदानों के मालिक हैं। यह सोचने की बात है। इसके लिए सरकार ने ऐसे कानून बनाना शुरू कर दिया है कि अब इस राज्य के खनिज संपदा की मालिक सबसे पहले राज्य सरकार होगी। पहले यहां के लोगों का पेट भरेगा, उसके बाद किसी को देंगे। क्योंकि, अब तक यहां के लोगों को बचा-खुचा मिलता था और मूल चीज वे खाते थे। यही तकलीफ प्रतिद्वंद्वियों को है। साथ ही कहा कि वे भले ही बतौर मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें संबोधित कर रहे हैं लेकिन उनकी पहचान एक आंदोलनकारी के पुत्र के रूप में है। इससे बड़ी पहचान और कुछ नहीं।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे संसाधन बढ़ रहा है, वैसे-वैसे झारखंड वासियों के चेहरे पर खुशियां ला रहे हैं। सरकार का संकल्प है कि यहां एक-एक बुजुर्ग, विधवा, दिव्यांग को पेंशन दिया जाएगा। रोजगार सृजन योजना, फूलो-झानो योजना शुरू की गई है। मजदूरों के सम्मान में उनकी सुरक्षा के लिए भी सरकार ने कई कदम उठाया है। दूसरे राज्यों से सम्मान उन्हें वापस लाया गया है, जो सदियों के अत्याचार से दूसरे राज्यों में जाकर बसे हैं, उन्हें वापस लाने के लिए प्रयास किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने झारखंड आंदोलनकारी चिह्नितीकरण आयोग के आवेदन प्रपत्र का भी विमोचन किया। उन्होंने कहा कि अब कोई आंदोलनकारी छूटेगा नहीं। इस राज्य को अलग करने के आंदोलन में केवल दो हजार लोग ही नहीं थे। एक-एक घर के लोग शामिल थे और सभी चिह्नित किए जाएंगे। इस आंदोलन में जेल जाने वालों के लिए अलग-अलग कैटेगरी में पेंशन का प्रावधान है। तीन माह से कम समय तक रहने वालों के लिए 3500, तीन माह से छह माह तक रहने वालों को पांच हजार और छह माह से अधिक समय तक रहने वालों के लिए सात हजार रुपये मासिक पेंशन का प्रावधान है।

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समारोह के मुख्य अतिथि झारखंड आंदोलनकारी सह दिशुम गुरु शिबू सोरेन थे। उनका संबोधन शुरू होते ही सभागार में कुछ आंदोलनकारियों ने हो-हल्ला शुरू कर दिया। उन्हें आयोग की गतिविधियों पर आपत्ति थी। उनका आरोप था कि उन्हें आंदोलनकारी का दर्जा नहीं दिया गया, उन्हें चिह्नित नहीं किया गया, उन्हें लाभ नहीं दिलाया गया। इसपर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी हस्तक्षेप किया और कहा कि सभी का सम्मान होगा, नए सिरे से सबको चिह्नित किया जाएगा। कोई छूटेगा नहीं। सांसद शिबू सोरेन ने कहा कि आयोग बना है, हल्ला नहीं करें। सभी चिह्नित होंगे, सबको उनका हक मिलेगा।

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिबू सोरेन, विशिष्ट अतिथि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, कृषि मंत्री बादल, गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार, झारखंड आंदोलनकारी के अध्यक्ष दुर्गा उरांव, लोक गायक मधु मंसूरी, भुवनेश्वर महतो, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का और सचिव विनय कुमार चौबे उपस्थित थे।

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