रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने कहा कि माइनिंग लीज का मामला सप्लाई ऑफ गुड्स बिजनेस में नहीं आता है। भाजपा इस पर भ्रम फैला रही है। झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू और पार्टी के वरिष्ठ नेता सुप्रीयो भट्टाचार्य ने शुक्रवार को पार्टी कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में यह बातें कही।
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दोनों नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पहले ही अपने चुनावी हलफनामे में इस बात का जिक्र किया है कि उनके नाम से एक माइंस लीज पर है, जिसे उन्होंने रिन्यूअल के लिए भेजा है। ऐसे में तो कोई आपराधिक मामला बनता ही नहीं है। दोनों नेताओं ने संयुक्त रूप से कहा कि हेमंत सोरेन के खदान लीज मामले पर भाजपा भ्रम फैला रही है। भाजपा राज्य को अस्थिर करना चाहती है लेकिन भाजपा का यह मंसूबा कभी कामयाब नहीं होगा।
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नेताओं ने कहा कि सीवीके राव बनाम दत्तू भसकरा -1964 में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की खंडपीठ ने स्पष्ट कहा है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9 (ए) के तहत माइनिंग लीज का मामला सप्लाई ऑफ गुड्स बिजनेस के तहत नहीं आता। 2001 में करतार सिंह भदाना बनाम हरि सिंह नालवा और अन्य और 2006 में श्रीकांत बनाम बसंत राव व अन्य मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह का निर्णय दिया था।
धारा नौ (ए) के तहत सभी तरह के मामलों में किसी भी व्यक्ति को उसके पद से बर्खास्त नहीं किया जा सकता। केवल सप्लाई ऑफ गुड्स और सरकारी कामों का उपयोग करने में ही ऐसा किया जा सकता है। माइंस लीज का मामला इसमें नहीं आता।
उल्लेखनीय है कि झारखंड की राजनीति मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खदान लीज मामले पर इन दिनों गरमाई हुई है। फिलहाल, यह मामला भारत के निर्वाचन आयोग के पास है।
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