नई दिल्ली। बच्चों को फिजीकल पनिशमेंट देना उन पर नेगेटिव असर डाल सकता है और एक स्टडी में यह बात साबित भी हो चुकी है। बच्चों को गलती करने पर फिजीकल पनिशमेंट देने से, उन्हें व्यवहारात्मक परेशानियां हो सकता है। यह बात एक स्टडी में सामने आई है। एक स्टडी के अनुसार दो से चार साल के 63 पर्सेंट बच्चों को अपने पेरेंट्स से फिजीकल पनिशमेंट मिलती है। बच्चों के अधिकारों पर यूनाइटेड नेशंस कमेटी ने सुझाव दिया है कि सभी देशों को बच्चों को दी जाने वाली फिजीकल पनिशमेंट को बंद कर देना चाहिए।
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यूनाइटेड नेशंस कमेटी यह सुनिश्चित करती है कि सभी बच्चों को उनके मानव अधिकार मिल सकें और वो भी सम्मान और समानता के साथ जी सकें। इस रिसर्च की टीम ने फिजीकल पनिशमेंट से जुड़े 69 अध्ययनों पर शोध किया लेकिन उन्हें ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला जो ये बता सके कि इस तरह की पनिशमेंट बच्चों के लिए फायदेमंद होती है। ऑस्टिन की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस के ह्यूमन डेवलपमेंट एंड फैमिली साइंसेस की प्रोफेसर एमी जॉनसन का कहना है कि हर अध्ययन से यही प्रमाण मिला के फिजीकल पनिशमेंट बच्चों के विकास और परवरिश के लिए गलत है।
रिसर्च की शोधकर्ता ने पाया कि फिजीकल पनिशमेंट की वजह से नुकसान हो सकते हैं और इसके कारण बच्चों को बिहेवरियल प्रॉब्लम हो सकती हैं। जितनी ज्यादा बच्चों को इस तरह की सजा दी जाती है, उतना ही ज्यादा उसका नुकसान भी होता है। पेरेंट्स बच्चों के साथ मारपीट करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि ऐसा करने से बच्चे सुधर जाएंगे जबकि असलियत में ऐसा नहीं है। अध्ययनों में भी इसी बात के प्रमाण मिले हैं कि फिजीकल पनिशमेंट से बच्चों के बिहेवियर में कोई सुधार नहीं आता है बल्कि वो और ज्यादा बिगड़ जाते हैं।
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इससे पहले हार्वर्ड के शोधकर्ताओं ने भी कहा था कि फिजीकल पनिशमेंट से बच्चों के दिमागी विकास पर असर पड़ सकता है। जिन बच्चों के साथ मारपीट की जाती है, उनके मस्तिष्क के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स के मल्टीपल रिजन में न्यूरल रिस्पॉन्स ज्यादा देखा गया। इससे बच्चों के निर्णय लेने की क्षमता और सिचुएशन को समझने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
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मारपीट का संबंध बच्चों को ज्यादा गुस्सा आने, लोगों से कम बात करने और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से भी है। इसके कारण बच्चों को एंग्जायटी, डिप्रेशन भी हो सकता है। बता दें कि भारत में बच्चों के गलती करने या कुछ गलत करने से रोकने के लिए थप्पड़ मारना या कोई और तरह की फिजीकल पनिशमेंट देना आम बात है। इंडियन पेरेंट्स को लगता है कि बच्चों की पिटाई कर के उन्हें सुधारा जा सकता है जबकि ऐसा नहीं है।
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