पोषण के लिए 250 करोड़ रुपये का प्रावधान
रांची : झारखण्ड ने पोषण वाटिका के जरिये कुपोषण से लड़ाई लड़ने की ओर कदम बढ़ा दिया है। यही नहीं अब पोषण वाटिका महिलाओं के आय का माध्यम भी बन रहा है। राज्य सरकार से संचालित ‘दीदी बाड़ी योजना’ या यूं कहें पोषण वाटिका अब गरीब परिवार के लिए पौष्टिक भोजन सुनिश्चित करने में सक्षम है। इसके अतिरिक्त, कुपोषण के खिलाफ लड़ाई जीतने के लिए सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग पांच लाख रसोईघर, घर-बगीचा, आंगनबाड़ी उद्यान स्थापित करने की योजना बना रही है, जिसका अनुमानित बजट करीब 250 करोड़ रुपये है।
क्या है पोषण वाटिका
मनरेगा एवं झारखण्ड राज्य आजीविका मिशन के संयुक्त प्रयास से दीदी बाड़ी योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। राज्य को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए ग्रामीण महिलाओं को अपने घर की बाड़ी में विभिन्न तरह की हरी सब्जियों की खेती का प्रशिक्षण देकर जेएसएलपीएस के जरिए बीज उपलब्ध कराया जा रहा है। इस पहल के जरिए ग्रामीण परिवार अपनी बाड़ी में उपजे सब्जी से अपनी थाली को पौष्टिक बनाएंगे, जिससे कुपोषण के खात्मे में मदद मिलेगी।
योजना से कम से कम पांच लाख परिवारों को जोड़ने का लक्ष्य है। योजना के जरिये लाभुक को अपनी बाड़ी में जैविक एवं पोषणयुक्त सब्जियों समेत फलों का उत्पादन करना है, ताकि राज्य को कुपोषण मुक्त करने एवं रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में सहयोग मिल सके। अब तक 1,96,721 योजनाओं को स्वीकृत किया गया है, जिसमें 1,334,43 योजनाओं पर कार्य जारी है। ग्रामीण आबादी के बीच इस योजना के बारे में जागरुकता पैदा करने और इसे बढ़ावा देने के लिए सरकार उन्हें मौसमी सब्जियां, फल, फूल आदि के बीज उपलब्ध कराती है।
इसके अलावा लाभार्थियों को मनरेगा के तहत प्रति वर्ष 100 दिन का वेतन भी दिया जाता है। साथ ही लाभुक महिलाएं बाजारों में अतिरिक्त उपज बेचकर आय अर्जित करने में सक्षम हो रहीं हैं। जामताड़ा की मुनिया देवी, उर्मिला देवी, गुड़िया देवी, सरिता देवी, गीता देवी जैसी हजारों महिलाएं ‘दीदी बाड़ी योजना’ के माध्यम से अपने परिवार के लिए पौष्टिक भोजन सुनिश्चित करा अतिरिक्त आय प्राप्त कर रहीं हैं। दीदी बाड़ी योजना के अलावा वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिये पेश किए गए बजट में सरकार ने एक हजार दिन के लिये समर परियोजना शुरू करने की भी घोषणा की है। परियोजना के तहत राज्य से एनीमिया और कुपोषण के उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
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