डॉल्फिन फिर से समुद्र में शिकार करने ​को तैयार​

​स्वदेशी​ ​​​टॉरपीडो​ का ​​डॉ​​ल्फिन ​से​ हुआ ​पह​ला सफल उड़ान परीक्षण​​​​- ​​​पैराशूट ​से उतरकर समुद्र में ​540 मीटर की गहराई तक​ करेगा कार्य ​
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नई दिल्ली : ​ भारतीय नौसेना के​ ​​​​​समुद्री गश्ती​ ​विमान ​इल्यूशिन Il-38 ​(​​डॉल्फिन) ​से पैराशूट प्रणाली के साथ ​स्वदेशी ​​एडवांस्ड लाइट ​​टॉरपीडो​ का ​​​​​पह​ला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक किया​ गया है​। ​इसे ​​​नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लेबोरेटरी (एनएसटीएल) ​ने विकसित​ किया है​।​ टॉरपीडो एडवांस्ड लाइट (टीएएल) एक विद्युत चालित स्व-होमिंग टारपीडो है और इसे जहाज और रोटरी विंग विमान से लॉन्च किया जा सकता है।​ ​इससे पहले इस टारपीडो ​का हेलीकॉप्टर, जहाजों और पनडुब्बियों से ​परीक्षण किया जा चुका है​​।​ ​नौसेना का यह समुद्री गश्ती​ ​विमान जब​ सुपरसोनिक ब्रह्मोस, केएच 35 और ​​स्वदेशी टॉरपीडो से ​लैस होगा तो ​दुश्मन का बच निकलना मुश्किल होगा।​​​​​​​
​रूसी कंपनी के विमान ​ ​इल्यूशिन Il-38 को ‘डॉल्फिन’ भी कहा जाता है​। यह लंबी दूरी के लिए फिक्स्ड विंग समुद्री गश्त और पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान है। इस विमान को सोवियत संघ में इल्यूशिन Il-38 टर्बोप्रॉप परिवहन विमान से डिजाइन किया गया था। नाटो इस विमान को “मई” कहता है। भारतीय नौसेना वर्तमान में इन हवाई जहाजों की 2 इकाइयां संचालित करती है जबकि 5 इकाइयां 1977 में सोवियत संघ से अधिग्रहित की गई थीं। विमान के भारतीय संस्करण में ‘सी ईगल’ एंटी-शिप मिसाइल ले जाने की क्षमता है। मध्यम वजन 580 किलो वाली इस एंटी-शिप मिसाइल को ​​बीएई डायनेमिक्स (अब एमबीडीए) ने डिज़ाइन और निर्मित किया है। सी ईगल के अलावा डॉल्फिन विमान से केएच-35 एंटी-शिप मिसाइल और भारत की सबसे ताकतवर सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल को भी लांच किया जा सकता है।
​​नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजिकल लेबोरेटरी (एनएसटीएल)​ द्वारा विकसित ​​एडवांस लाइट टॉरपीडो आज दुनिया की बेहतरीन ​हल्की ​​टॉरपीडो में से एक है​​। ​डॉल्फिन​ ​​समुद्री गश्ती​ ​विमान से टारपीडो ​को ​सुरक्षित ​तरीके से पैराशूट की मदद से ​​उतारा जाता है​​।​​​ ​​समुद्र के पानी में प्रवेश ​करते ही टारपीडो सक्रिय हो जाता है।​ ​​टारपीडो रिलीज ​सिस्टम ​​पैराशूट ​से उतरकर पानी में अपना ऑपरेशन जारी रख पाता है। पैराशूट को ​आगरा ​के हवाई वितरण अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान​ ने डिजाइन किया है। ​यह ​टॉरपीडो​​​ अत्याधुनिक प्रोसेसर​ ​आधारित सिग्नल प्रोसेसिंग एल्गोरिदम का उपयोग करके एक साथ कई लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है।​​ ​220 ​किलो के टारपीडो ​की ऑपरेशनल रेंज 19 ​किमी. है और यह 33 समुद्री मील की गति के साथ यात्रा कर सकता है।​ ​यह सभी इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन ​में ​​540 मीटर की गहराई तक काम कर ​सकता है​। ​एडवांस लाइट टॉरपीडो​ ​​लॉन्च होने पर ​​लगभग 6 मिनट में​ लक्ष्य को नष्ट कर सकता है। 
​चीन से तनाव बढ़ने के बाद ​हिन्द महासागर क्षेत्र भारतीय नौसेना के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। चीनी नौसेना का पनडुब्बी बेड़ा एक साथ बड़ी तेजी के साथ बढ़ रहा है। इसलिए नौसेना की पनडुब्बी रोधी प्रणालियों का निरंतर विकास किये जाने की आवश्यकता है। भारतीय नौसेना पहले से ही 9 बोइंग पी 8 आई-नेपच्यून विमान संचालित करती है। यह विमान पनडुब्बी रोधी युद्ध, सतह रोधी युद्ध और शिपिंग इंटरडक्शन भूमिकाओं में सक्षम है। इसके अलावा भारत को 9 और विमान मिलने हैं। हालांकि P8-​आई अत्याधुनिक प्रणाली से लैस है लेकिन ब्रह्मोस और स्वदेशी टारपीडो नहीं ले जा सकता है​ इसलिए ​अत्याधुनिक सेंसर और उपकरण के साथ इल्यूशिन Il-38 का बेड़ा भारतीय नौसेना को मजबूत करेगा।

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