जम्मू। जम्मू-कश्मीर में शहीदी दिवस और पूर्व मुख्यमंत्री शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की जयंती पर होने वाले सार्वजनिक अवकाश को रद्द करने के प्रशासन के फैसले को सीपीआई (एम) नेता एमवाई तीरगामी ने शनिवार को संवाददाता सम्मेलन में अपमानजनक और बेतुका कहा है। उन्होंने कहा, दोनों अवसरों पर होने वाली छुट्टी को 2020 की सार्वजनिक अवकाश की सूची से हटाना दुर्भाग्यपूर्ण है। वह समझ नहीं पा रहे है कि प्रशासन इस आदेश से क्या हासिल करना चाहता है। तारीगामी ने कहा कि 13 जुलाई का ऐतिहासिक महत्व है।
यह लोकतांत्रिक अधिकारों और अत्याचार के खिलाफ हुए आंदोलन का प्रतीक है। 13 जुलाई को सार्वजनिक अवकाश की सूची से हटाना अपमानजनक है। उन्होंने शेख अब्दुल्ला की जयंती पर होने वाली छुट्टी को खत्म करने पर भी नाराजगी जताई है। उल्लेखनीय है कि शुक्रवार देररात प्रशासन ने पिछले कैलेंडर वर्ष की तुलना में 2020 में दो छुट्टियों में कटौती करते हुए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में कुल 27 सार्वजनिक छुट्टियां जारी की हैं। इस कलेंडर के मुताबिक 13 जुलाई को शहीदी दिवस और 5 दिसम्बर को शेख अब्दुल्ला की जयंती पर छुट्टी नहीं होगी।
इस सबके बीच 26 अक्टूबर को विलय दिवस के दिन को अवकाश घोषित किया गया है। एक दिन पहले लद्दाख ने भी अपना कैलेंडर जारी करते हुए शहीदी दिवस और शेख अब्दुल्ला जयंती पर अवकाश रद्द कर दिया था।जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के लगभग 72 साल बाद विलय दिवस पर अवकाश की घोषणा की गई है। विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले अंतिम डोगरा शासक स्वर्गीय महाराजा हरि सिंह की जयंती पर अवकाश की घोषणा का जम्मू संभाग के लोगों को इंतजार था। बावजूद इसके विलय दिवस पर अवकाश का संभाग के लोगों ने स्वागत किया है।
कश्मीर घाटी में शहीदी दिवस महाराजा के खिलाफ बगावत के दौरान मारे गए लोगों की स्मृति में मनाया जाता रहा है। जम्मू संभाग में इसे काला दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है। राज्य में महाराजा के खिलाफ यह पहली बगावत थी।
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