केंद्रीय मंत्री बोले,नागरिकता कानून पर लोगों का मिजाज भांप नहीं पाई BJP

नई दिल्ली : नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act) पर देश के सभी हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए. राजधानी दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में अभी भी इसको लेकर प्रदर्शन जारी हैं. इस कानून को लेकर अब भारतीय जनता पार्टी के अंदर ही सवाल उठने लगे हैं. केंद्र के मंत्री भी मान रहे हैं कि सरकार इस गुस्से को समझने में नाकाम रही. नागरिकता कानून पर केंद्र सरकार पिछले छह साल का सबसे बड़ा विरोध झेल रही है. इस कानून के मुताबिक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए शरणार्थियों को शरण देने की बात कही गई है. इनमें मुस्लिम शामिल नहीं हैं.

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, बीजेपी के कई नेता इस तरह के प्रदर्शन से हैरान हैं. उनका कहना है कि वह कुछ विरोध प्रदर्शन के लिए तो तैयार थे, लेकिन ये इतने बड़े स्तर पर होंगे, इसका अंदाजा नहीं था. अब पार्टी और सरकार इस संकट से उबारने के लिए प्रयास कर रही है. जिससे शहरों में बढ़ते विरोध प्रदर्शन को कम किया जा सके. केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान (Sanjeev Balyan) ने रॉयटर्स से बातचीत में बताया कि मैंने वास्तव में ऐसे विरोध प्रदर्शनों (Protest on CAA) को नहीं देखा है. मेरे अलावा बीजेपी (BJP) के दूसरे नेताओं को इस तरह विरोध की उम्मीद नहीं थी.

सरकार और उसके संगठन अब समर्थन में चला रहे अभियान

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह एक इंटरव्यू में साफ कह चुके हैं कि सीएए नागरिकता के बारे में नहीं है और एनआरसी (NRC) पर अभी कोई चर्चा नहीं हुई है. इधर सरकार के एक मंत्री का कहना है कि अभी हम सभी डैमेज कंट्रोल मोड में हैं. इसीलिए बीजेपी और उसके दूसरे सहयोगी संगठन इस मुद्दे पर जागरूकता अभियान चला रहे हैं. इसमें बताया जा रहा है कि ये कानून भेदभाव वाला नहीं है. आरएसएस (RSS) भी इस कानून के समर्थन में शहरों में अभियान चला रहा है.

चव्हाण बोले-सरकार का दांंव उल्टा पड़ा

सरकार के इस कानून के खिलाफ सभी विपक्षी दल विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. कांग्रेस ने भी मोर्चा खोल रखा है. महाराष्ट्र कांग्रेस (Maharashtra Congress) के नेता पृथ्वीराज चव्हाण (Prithviraj Chavan) ने कहा, देश के इतिहास में ये पहली बार है जब कोई कानून धर्म के आधार पर बनाया गया है. बीजेपी की हिंदू राष्ट्र बनाने की नीति फेल हो गई है.

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