नागपुर। महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के किसानों को 23 हजार करोड़ की सहायता देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि नागपुर में सोमवार से राज्य विधानमंडल का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है। इस दौरान ठाकरे सरकार को किसानों को आर्थिक राहत प्रदान करने की घोषणा करनी चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने रविवार को नागपुर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि मुख्यमंत्री के शपथग्रहण को कई दिन बीत गए, लेकिन अब तक मंत्रिपरिषद का विधिवत गठन नहीं हो सका है।
ऐसे में शीतकालीन सत्र के दौरान सवाल किससे पूछें, सरकार के समक्ष यह सबसे बड़ा सवाल है। राज्य में बेमौसम बारिश के चलते लाखों हेक्टेयर की फसल बर्बाद हो गई है। राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्यपाल ने किसानों के लिए आठ हजार से 18 हजार रुपये प्रति एकड़ तक मुआवजा देने की घोषणा की थी, लेकिन अब तक किसानों को इसका लाभ नहीं मिल सका है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील, राधाकृष्ण विखे-पाटील और गिरीश महाजन उपस्थित थे।फडणवीस ने याद दिलाया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनकी सहयोगी पार्टियों के अन्य नेता हमेशा से किसानों को 25 हजार रुपये के मुआवजे की मांग करते आए हैं।
अब सत्तारूढ़ होने के बाद इन लोगों की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपनी बात पर अमल करें। यदि उद्धव ठाकरे की मांग के अनुसार हिसाब लगाया जाए तो राज्य के किसानों के 23 हजार करोड़ रुपये की सहायता मिलनी चाहिए। यदि सरकार शीतकालीन सत्र में किसानों को आर्थिक सहायता नहीं दे सकती तो कम से कम किसानों को किस प्रकार राहत देंगे, इसका ब्योरा पेश करना चाहिए।फडणवीस ने तंज कसा कि हमारी चार दिन कि सरकार ने किसानों के लिए 10 हजार करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी, लेकिन ठाकरे सरकार अब तक उस पर भी कुछ नहीं कर पाई है।
सत्ता पक्ष की ओर से कुछ नेताओं ने राज्य के आर्थिक हालात बदतर होने की बात कही थी। इस पर फडणवीस ने कहा कि राज्य कर्जे में डूबा हुआ है, ऐसी बायानबाजी मंत्री कर रहे हैं, लेकिन यह बयान सिर्फ जिम्मेदारी से भागने का प्रयास है। कोई भी बड़ा राज्य अपने कुल बजट के अनुपात में कर्जा ले सकता है। इसको सरल भाषा में कहा जाए तो महाराष्ट्र अपने जीडीपी के 26 प्रतिशत तक कर्जा ले सकता है। फिलहाल राज्य पर 15.8 फीसदी का कर्ज है। नतीजतन सरकार और कर्जा लेकर किसानों को राहत दे सकती है।
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