व्यंग्य : मालिक कुत्ता

-सुदर्शन कुमार सोनी-

कुत्ते के मालिक होते हैं यह तो आपने हमने सबने सुना है। और मालिक के साथ चलते हुये कुत्ते का गरूर देखते ही बनता है। यह जीभ बाहर निकाल कर बेवजह लम्बे समय तक मुंडी हिलाता रहता है। हर आदमी चाहता है कि वह कुत्ते, एक अदद कुत्ते का मालिक बने। जितना महंगा व शानदार कुत्ता हो व उसकी चेन मालिक के हाथ में घुमाते समय हो तो उसकी छाती उतनी ही चैड़ी हो जाती है। मालिक जब कार में अपने डॉगी को लेकर जाता है तो डागी जी खुशी से फूल कर कुप्पा हो जाते हैं। डागी जी कार से झांकते हुये एैसे दुकानों का बाजार का मुआयना करते चलते हैं, कि देखते ही बनता है जैसे कि नगर निगम के कोई आला अफसर शहर का मुआयना करने निकले हों। लेकिन मैं इंसान मालिक की बात नहीं कर रहा हूं कुत्ता मालिक की बात कर रहा हूं वह कुत्ता जो मालिक के साथ जाते समय अपने को मालिक व मालिक को कुत्ता या कि गधा समझने लगता है। एैसे कुत्तों को मालिक नहीं घुमाते है कुत्ता मालिक को घुमाता है! मालिक यदि दायें जाये तो यह कुत्ता बायें को मुड़ता जाता है मालिक को मजबूरी में बायें आना पड़ता है मालिक कोशिश करे तो यह जोर लगाता है। मालिक यदि बायें जाये तो यह दायें को भागने की कोशिश करता है! मालिक यदि धीरे चलना चाहे तो यह नहीं चलने देगा, यह दौड़ लगायेगा और मालिक को दौड़ने मजबूर कर देगा आप कह सकते हैं कि यह ही मालिक हुआ क्योंकि मर्जी इसी की चलती है। और मालिक यदि कभी दौड़ लगाकर इसे भी उकसाना चाहे दौड़ने के लिये तो यह ठस बन कर खड़ा हो जाता है, हिलेगा डुलेगा भी नहीं झक मारकर मालिक को दौड़ने की इच्छा का त्याग करना पड़ता है, क्योंकि यह उसी समय कुछ और त्याग करने में लग जाता है! मालिक टाईप के कुत्ते के साथ यह समस्या होती ही है कि वह अपने को मालिक व मालिक को नौकर समझता है? यह डाईंग रूम में सोफे पर बैठने की कोशिश करता है। यह मालिक को सोफे पर बैठे देख कर खुद भी मालिक बनना चाहता है। सोचता है कि उसमें क्या कमी है जो कि उसे नीचे बैठाया जाता है, मालिक टीवी देखे तो यह भी टीवी देखने की कोशिश करता है। यदि मालिक एसी या कूलर में सो रहा है तो यह भी चैकीदारी करने की अपेक्षा सोना चाहता है। यह असली मालिक बन बैठता है मालिक दिन भर इसकी तीमारदारी में लगा रहता है। यदि मालिक खाना खा रहा है तो यह भी पास ही बैठ कर कातर नजरों से देखते हुये अपनी जीभ को यहां वहां घुमाता है कि तुम मालिक कैसे बिना मेरे अकेले-अकेले खा रहे हो? सच में एैसे कुत्ते का मालिक नौकर ही बन कर रह जाता है और उसके सुबह से शाम तक के नखरे मालिक पूरे करता है। सुबह सुबह उसे सुहानी हवा में घुमाना, खुद भले ही मालिक हल्का न हो पाया हो लेकिन इन्हें हल्के कराने के लिये घुमाना और इनका यदि ध्यान बंट जाये तो कहो यह घंटा भर हल्के न हो मालिक भले ही भारी होकर चलने में दिक्कत महसूस करने लगे। ये इतने मन मौजी होते है कि गये थे हल्के होने और वहां इनकी प्रिय साथी के दर्शन हो गये तो ये हल्के होना भूल गये लपलपाने लगे या कि दूसरा कुत्ता दिख जाये तो उसको आंखे तरेरने के चक्कर में सब भूल जाये! मालिक लाख कोशिश करे लेकिन यह टस से मस न हो सारी ट्रेनिंग बेकार होती लगे तो आप बताये कि यह मालिक कुत्ता हुआ न और कुत्ता मालिक अपने को मालिक समझना छोड़ दे।

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