नई दिल्ली। निर्भया केस के चारों दोषियों को जल्द फांसी देने की मांग करने वाली याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट ने सुनवाई 18 दिसम्बर तक के लिए टाल दिया है। आज सुनवाई के दौरान कोर्ट को ये सूचित किया गया कि दोषियों में से एक अक्षय की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 17 दिसम्बर को सुनवाई करेगा। तब एडिशनल सेशंस जज सतीश अरोड़ा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर लेते हैं। उसके बाद कोर्ट ने 18 दिसम्बर को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया। चारों दोषियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया गया। सभी दोषियों को सुरक्षा वजहों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पेशी कराई गई थी। पिछले 29 नवम्बर को कोर्ट ने चारो दोषियों को जारी कर पूछा था कि वो ये बताएं कि वो कोई नई अर्जी लगाना चाहते हैं या नहीं। कोर्ट ने चारों दोषियों से 13 दिसम्बर तक जवाब मांगा था। पिछले 28 नवम्बर को तिहाड़ जेल प्रशासन ने अपनी रिपोर्ट पटियाला हाउस कोर्ट को सौंपी थी। तिहाड़ जेल प्रशासन ने कहा था कि सभी दोषियों को नोटिस दिया गया है। पिछले 25 नवम्बर को कोर्ट ने निर्भया के माता-पिता की अपने बेटी के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के दोषियों को जल्द फांसी की सजा देने की मांग वाली याचिका दूसरे जज के पास ट्रांसफर कर दिया था। ये याचिका एडिशनल सेशंस जज सतीश अरोड़ा की कोर्ट में ट्रांसफर की गई है। इस मामले की सुनवाई करने वाले जज का ट्रांसफर होने की वजह से इस याचिका पर सुनवाई टल रही थी। गौरतलब है कि पिछले महीने ही तिहाड़ जेल प्रशासन ने चारों दोषियों को नोटिस जारी किया था। तिहाड़ जेल प्रशासन ने कहा था कि अगर वो दया याचिका राष्ट्रपति के पास दाखिल करते हैं या नहीं, यहां बतायें नहीं तो प्रशासन कोर्ट के आदेश के मुताबिक कानून के हिसाब से आगे की कार्रवाई करेगा। पिछले 4 जून को कोर्ट ने तिहाड़ जेल के अधीक्षक को तलब किया था। कोर्ट ने जेल महानिदेशक के जरिए तिहाड़ जेल के अधीक्षक को नोटिस जारी कर ये बताने को कहा था कि अभियुक्तों ने कौन-कौन कानूनी उपायों का इस्तेमाल कर लिया है। कोर्ट ने तिहाड़ जेल के अधीक्षक को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया था। याचिका वकील आलोक अलख श्रीवास्तव ने दायर की थी। याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि निर्भया कांड के चारो गुनहगारों को फांसी की सजा पर तुरंत अमल किया जाए और उन्हें कानूनन मौत दी जाए। याचिका में कहा गया था कि निर्भया कांड के चारों दोषी मुकेश कुमार, पवन, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर को सुनाई गई फांसी की सजा पर तुरंत अमल किया जाए और उन्हें कानूनन मौत दी जाए। गैंगरेप के चारो दोषियों मुकेश, अक्षय, पवन और विनय को साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिस पर 14 मार्च 2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी मुहर लगा दी थी। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए फांसी की सजा पर रोक लगाई थी। 9 जुलाई, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश, पवन और विनय की रिव्यू पिटीशन को खारिज करते हुए उनकी फांसी की सजा पर मुहर लगाई थी।
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