कोलकाता। कहते हैं “जाको राखे साइयां, मार सके ना कोय”। कोलकाता के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इसका एक जीता जागता उदाहरण सामने आया है। यहां 2 साल की एक मासूम बच्ची ने जानलेवा कैंसर को मात देकर जिंदगी की जंग जीती है । विडंबना यह कि उसकी बीमारी का पता चलते ही उसके मां-बाप उसे अस्पताल में लावारिश छोड़ गए थे। बच्ची का नाम मीनू है। जैसे ही सफेद कपड़ों में कोई नर्स या डॉक्टर अथवा अस्पताल का कोई कर्मी उसे नजर आता है, उसके चेहरे पर मुस्कान और होठों पर हंसी फूट पड़ती है। मीनू को तो यह भी नहीं पता कि वह कहां रह रही है, कौन उसके अपने हैं और कौन पराये, बस खुश रहती है। वजह है इतनी कम उम्र में अस्पताल के इन्हीं लोगों ने उसे मौत के पंजे से बाहर निकाला है। 3 अक्टूबर 2017 को इसी अस्पताल में उसका जन्म हुआ था। जन्म के बाद डॉक्टरों ने उसकी कमर के नीचे एक ट्यूमर देखा। यह डॉक्टरों को चिंता में डालने वाला था। चिकित्सकों ने निर्णय लिया कि उसका ऑपरेशन किया जाएगा और 2 महीने बाद ही ऑपरेशन भी किया गया। मौत से यह पहली जंग बच्ची ने सफलतापूर्वक जीत ली और ऑपरेशन सफल रहा। इधर ट्यूमर का जब बायोप्सी किया गया तो पता चला कि उसे कैंसर है। बचने की कोई उम्मीद नहीं थी। एक तो बेटी उस पर से कैंसर की बीमारी के बारे में पता चलने के बाद मां-बाप एक दिन रात के समय बच्ची को बेड पर छोड़कर लापता हो गए। अस्पताल में जो पता दिया था उस पर जांच की गई तो वह फर्जी निकला और मां-बाप का नाम भी। इधर डॉक्टरों ने बच्ची को बचाने के लिए केमोथेरपी की शुरुआत कर दी और उसके मां-बाप की खोज भी शुरू कर दी गई। दो साल से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन उसके मां-बाप का पता नहीं चला। बच्ची स्वस्थ है। हर साल उसका जन्मदिन अस्पताल में मनाया जाता है। डॉक्टर, नर्स, अस्पताल कर्मी मिलकर केक काटते हैं, उसे खिलाते हैं और मरीजों मिठाइयां भी बांटी जाती है। फिलहाल उसे कुछ दिन और केमोथेरपी की जरूरत पड़ेगी जिसके बाद उसे राज्य सरकार के आधिकारिक विभाग के हवाले से शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य के लिए होम के हवाले किया जाएगा।
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