नई दिल्ली। टेलीकॉम कंपनियों को बड़ा झटका लगा है। एयरटेल और वोडाफोन को 92,000 करोड़ रुपये चुकाने होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) की सरकारी परिभाषा को सही कहा है। कंपनियों का कहना था कि एजीआर में सिर्फ लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम चार्ज आते हैं। जबकि सरकार रेंट, डिविडेंड और संपत्ति बेचने से लाभ जैसी कई चीजों को भी शामिल बता रही थी। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट 92,000 करोड़ रुपये चुकाने की समय सीमा पर भी फैसला करेगा। सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने सबसे पहले 2005 में एजीआर की केंद्र सरकार की गणना को चुनौती दी थी। एसोसिएशन का कहना था कि केंद्र सरकार की गणना टेलीग्राफ एक्ट और ट्राई की अनुशंसाओं के विपरीत है। इसके पहले टेलीकॉम विवाद निस्तारण अपीलीय ट्रिब्यूनल ने कहा था कि एजीआर में रेंट, डिविडेंड, संपत्ति बेचने से लाभ भी शामिल होंगे।
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