नई दिल्ली। अयोध्या मामले में शनिवार को आखिरी दिन सभी मुस्लिम पक्षों ने संयुक्त रूप से मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर लिखित हलफनामा दाखिल किया। इनके अलावा निर्मोही अखाड़ा, हिन्दू महासभा, रामजन्म भूमि पुनरुद्धार समिति और रामलला विराजमान की ओर से भी मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर लिखित हलफनामा दाखिल किया गया।
हिन्दू महासभा ने मोल्डिंग ऑफ रिलीफ़ पर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा है कि राममंदिर के निर्माण पर पूरे मंदिर की व्यवस्था को देखने के लिए सुप्रीम कोर्ट एक ट्रस्ट बनाये। मंदिर की देखरेख के लिए सुप्रीम कोर्ट एक एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त करे।
राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने भी मोल्डिंग ऑफ रिलीफ़ के हलफनामे में कहा है कि विवादित जमीन पर मंदिर बने और मंदिर की देखरेख और संचालन के लिए ट्रस्ट का गठन किया जाए ।
रामलला विराजमान ने मोल्डिंग ऑफ रिलीफ़ पर सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उसे सारा क्षेत्र राम मंदिर के लिए दिया जाए। निर्मोही अखाड़ा या मुस्लिम पार्टियों को जमीन का कोई हिस्सा नहीं मिलना चाहिए।अयोध्या मामले में फैसला सुरक्षित रखते समय संविधान बेंच ने सभी पक्षकारों को मोल्डिंग ऑफ रिलीफ़ को लेकर तीन दिन में लिखित नोट जमा करने को कहा था। मोल्डिंग ऑफ रिलीफ़ का मतलब होता है कोर्ट से यह कहना कि अगर हमारे पहले वाले दावे को नहीं माना जा सकता तो नए दावे पर विचार किया जाए।
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