अयोध्या मामला : सुप्रीम कोर्ट में 30वें दिन की सुनवाई हुई पूरी

नई दिल्ली । अयोध्या मामले पर आज मंगलवार को 30वें दिन की सुनवाई पूरी हो गई। आज मुस्लिम पक्ष की ओर से वकील राजीव धवन ने अपनी दलीलें पूरी कीं। उनके बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से वकील जफरयाब जिलानी ने दलीलें रखीं। धवन ने कुल 14 दिन का वक़्त लिया है। हिन्दू पक्ष ने 16 दिन में अपनी दलील पूरी कर ली थी।

राजीव धवन ने आज अपनी दलीलें केस नंबर एक यानी गोपाल सिंह विशारद की ओर से दायर अर्जी पर जवाब देते हुए कहा कि विशारद ने रामजन्मभूमि पर पूजा के व्यक्तिगत अधिकार का दावा करते हुए मुकदमा दायर किया था और उनकी मौत के बाद उनकी याचिका का कोई औचित्य नहीं रहा। दरअसल 1950 में पूजा के अधिकार को हासिल करने के लिए निचली अदालत का रुख करने वाले गोपाल सिंह विशारद का 1986 में देहांत हो चुका है। उनकी मौत के बाद उनके बेटे राजेन्द्र सिंह पैरवी कर रहे है।

धवन ने कई गवाहों के बयान का हवाला देते हुए ये साबित करने की कोशिश की कि मुसलमान उस जगह पर अपना दावा ठोकते रहे। वो चाहते थे कि नमाज के दौरान कोई दूसरा स्पीकर वहां न बजे। ये साबित करता है कि उनका वहां कब्जा रहा और वो वहां नमाज अदा करते रहे। राजीव धवन ने कहा कि पुराने वक्त से बादशाह की ओर से वहां मस्जिद के मुतवल्ली को मस्जिद की देखरेख के लिए 302 रुपये सालाना मिलता था। अंग्रेजो के वक्त में मुतवल्ली को राजस्व हासिल करने के लिए कई गांव दे दिए गए। ये दर्शाता है कि मुसलमानों का वहां पर कब्जा रहा है।

राजीव धवन के बाद मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि चाहे वाल्मिकी रामायण हो या फिर रामचरित मानस, दोनों में रामजन्मभूमि मंदिर का कोई जिक्र नहीं है। तब कोर्ट ने पूछा कि क्या इन ग्रंथों में इनका जिक्र न होने भर से ये साबित हो जाएगा कि वहां मंदिर की मौजूदगी नहीं रही है। जस्टिस बोब्डे ने जिलानी से पूछा कि तो इस बात को लेकर कोई विवाद नहीं है कि श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ था? तब जिलानी ने कहा कि हमें ये मानने में कोई दिक्कत नहीं कि श्रीराम ने अयोध्या में जन्म लिया था। विवाद सिर्फ बात को लेकर है कि श्रीराम का जन्मस्थान मस्जिद के अंदर नहीं है। तब जस्टिस बोब्डे ने पूछा कि तो आप ये मानते है कि रामचबूतरा जो 1885 के बाद अस्तित्व में आया था, राम का जन्मस्थान है। इस पर जफरयाब जिलानी ने कहा कि हमें ये मानने में कोई हर्ज नहीं है। तीन कोर्ट इससे पहले ये बात कह चुके हैं।

जस्टिस बोब्डे ने जफरयाब जिलानी से पूछा कि क्या बाबर ने मंदिर को ध्वस्त कर मस्जिद का निर्माण करवाया? क्या बाबर ने ऐसी जगह पर मस्जिद का निर्माण कराया, जहां कभी मंदिर हुआ करता था? और क्या बाबर ने खाली जगह पर मस्जिद पर निर्माण कराया? इस पर जिलानी ने जवाब दिया कि हमारा कहना है कि बाबर ने खाली जगह पर मस्जिद का निर्माण कराया। वहां कभी कोई भी मंदिर भी रहा होगा, तो वो बहुत पहले ही गायब हो चुका था। ज़मीन तब खाली थी, जब बाबर ने मस्जिद का निर्माण कराया। जिलानी ने कहा कि आइना-ए-अकबरी में भारत में हुई हर घटना का जिक्र है। तब जस्टिस बोब्डे ने पूछा कि तो उसमें बाबरी मस्जिद का जिक्र क्यों नहीं है। तब जिलानी ने कहा कि उसमें केवल महत्वपूर्ण तथ्य ही दर्ज हैं। तब जस्टिस बोब्डे ने पूछा कि बाबर के कहने पर मस्जिद बनवाने का आदेश महत्वपूर्ण तथ्य नहीं है।

जफरयाब जिलानी ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे साफ हो कि बाबर ने श्रीराम मंदिर को ध्वस्त किया। हालांकि इस बात के बहुत सारे सबूत मिल जायेंगे जो साबित कर देंगे कि महमूद गज़नी ने बहुत सारे मंदिरों को ध्वस्त किया था।

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